Bank Reconciliation Statement

बैंक समाधान विवरण

Bank Reconciliation Statement

कोई व्यापारी या व्यापारिक संस्था यदि लेनदेन के लिए बैंक का प्रयोग करती है तो हम इस ऑप्शन का प्रयोग करते है | आजकल सभी व्यापारी बैंक के द्वारा अपने सभी व्यापारिक लेनदेन करते है और इन्ही लेन-देनो का ब्यौरा रखने के लिए Cash book और Bank book बनायीं जाती है |जब व्यापारी बैंक में पैसा जमा करता है तो इसकी एंट्री Cash book और Bank book में करता है ,इसलिए दोनों खातो का शेष सामान रहता है लेकिन कभी-कभी इन दोनों खातो का शेष सामान नहीं होता तब Cash Book एवं Pass Book के शेष में होने वाले अंतर को मिलाने के लिए जो स्टेटमेंट तैयार किया जाता है उसे बैंक समाधान विवरण (Bank Reconciliation Statement) कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में Cash Book एवं Pass Book के शेषों में जिन-जिन कारणों से अंतर होता है उसे व्यक्त करने के लिए जो स्टेटमेंट तैयार किया जाता है उसे बैंक समाधान विवरण कहा जाता है।

बैंक समाधान विवरण की विशेषताए
Characteristics of Bank Reconciliation Statement

  • बैंक समाधान विवरण रोकड़ बही शेष एवं पास बुक शेष के मिलान हेतु तैयार किया जाता है।
  • बैंक समाधान विवरण समय-समय पर तैयार किया जाता है। साधारणतया महीने के अंत में या तीन महीने के अंत में इसे बनाया जाता है।
  • बैंक समाधान विवरण ग्राहक द्वारा तैयार किया जाता है, न कि बैंक के द्वारा।
  • बैंक समाधान विवरण दोहरा लेखा प्रणाली का अंग नहीं है। यह सिर्फ रोकड़ शेष को सिद्ध करने की एक विधि है।
  • बैंक समाधान विवरण बनाने का उद्देश्य सिर्फ शेषों का मिलान करना ही नहीं अपितु त्रुटियों या भूलों के कारणों का पता लगाना भी है।

बैंक समाधान विवरण की आवश्यकता /महत्व
Requirement of Bank Reconciliation Statement

  • रोकड़ बही या पास बुक में की गई भूलों व त्रुटियों का पता लगाना एवं इन्हें दूर करने के उपाय ढूँढना।
  • रिकार्ड्स को अपडेट रखना |
  • रोकड़ व बैंक का लेन-देन करने वाले बेईमान कर्मचारीयों पर नियंत्रण रखना।
  • रोकड़ बही की शुद्धता की जाँच में सहायता प्रदान करना।
  • छल-कपट व कोषों के गबन या दुरूपयोग की संभावना को कम करना।
  • चैकों के संग्रहण/वसूली में होने वाले विलम्ब को चिन्हित करना|

बैंक समाधान विवरण बनाने की विधियाँ

Methods of Bank Reconciliation Statement

बैंक समाधान विवरण निम्नलिखित में से किसी एक विधि से बनाया जा सकता है |

  • कैशबुक के डेबिट शेष को आधार मानकर।
  • पासबुक के क्रेडिट शेष को आधार मानकर।
  • कैशबुक के अधिविकर्ष शेष को आधार मानकर।
  • पासबुक के अधिविकर्ष शेष को आधार मानकर।

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