Algorithm – Flow Chart, Pseudo Code

Algorithm – Flow Chart, Pseudo Code

किसी भी प्रोग्रामिंग की समस्या का क्रमवार समाधान जिसे किसी मानवीय भाषा (human language) जैसे – अंग्रेजी या हिंदी आदि में लिखा गया है algorithm (algorithm) कहलाता है|

यह प्रोग्राम लिखने और बनाने का सबसे महत्वपूर्ण चरण है समस्या के पर्याप्त विश्लेषण के बाद प्रोग्रामर उस समाधान का algorithm लिखता है algorithm वास्तव में साधारण भाषा में लिखा गया प्रोग्राम ही है|

algorithm दो विधियों द्वारा व्यक्त किया जाता हैं –

  • Flow chart
  • Pseudo code

Flow chart

Flow Chart किसी भी समस्या के समाधान के विकास का अगला कदम है Flow Chart प्रोग्राम में किसी समस्या के समाधान को चित्रित इकाइयों के क्रम से प्रदर्शित करता है प्रत्येक कार्य एक विशेष चित्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है Flow Chart में प्रयोग होने वाले विभिन्न प्रतीक आगे दिए गए हैं|

  • Flow Chart टर्मिनल प्रतीक से प्रारंभ एवं अंत होता है|
  • Flow Chart में प्रवाह ऊपर से नीचे अथवा बाएं से दाएं ओर होनी चाहिए|
  • डिसीजन बॉक्स से दो Flow Chart निकलते हैं जिसमें एक शर्त के सत्य को एवं दूसरी शर्त की असत्य प्रवाह को दर्शाते हैं|
  • प्रत्येक चिह्न में दिए गए निर्देश स्पष्ट एवं पूर्ण होने चाहिए जिससे उसे पढ़कर समझने में कठिनाई ना हो|
  • यदि Flow Chart बड़ा हो एवं उसे अगले पृष्ठ पर भी बनाया जाना है तो Flow Chart को इनपुट तथा आउटपुट प्रतीक पर ही तोड़ना चाहिए तथा कनेक्टर का प्रयोग Flow Chart को कनेक्ट करने के लिए करना चाहिए|
  • Flow Chart जहां तक संभव हो अत्यंत साधारण होना चाहिए|
  • Flow line एक दूसरे को काटते हुए नहीं होनी चाहिए यदि ऐसी परिस्थिति आती है तो उपयुक्त कनेक्टर का प्रयोग करना चाहिए|
  • प्रोसेस प्रतीक में केवल एक ही फ्लो Flow line इनपुट होनी चाहिए और एक ही Flow line निकलनी चाहिए|
  • नीचे से ऊपर की ओर जाने वाली Flow line या तो किसी विश्लेषण की पुनरावृत्ति या लूप को प्रदर्शित करनी चाहिए|

उदाहरण –

Flow Chart की सीमाएं

  • समस्या अधिक बड़ी होने की स्थिति में Flow Chart अधिक जटिल हो जाता|
  • यदि किसी प्रकार का सुधार करना हो तो Flow Chart पुनः बनाना होता है|
  • इससे किसी प्रक्रिया के महत्व का ज्ञान नहीं हो सकता है|

Flow Chart के लाभ

  • Documentation (डॉक्यूमेंटेशन)

सुविचार एक स्थाई तथा प्रभावी डॉक्यूमेंटेशन का कार्य करते हैं एक बार प्रोग्राम बनाने के बाद उसमें किए जाने वाले परिवर्तनों को करने के लिए Flow Chart के माध्यम से सर्वप्रथम प्रोग्राम को समझा जाता है फिर उसमें आवश्यक परिवर्तन किए जाते हैं|


  • Quick Coding (शीघ्र कोडिंग)

क्योंकि Flow Chart किसी भी समस्या के समाधान का चित्रित रूप होता है अतः Flow Chart बनाने के बाद किसी भी प्रोग्राम को बहुत ही कम समय में लिखा जा सकता है

  • Error Finding (गलतियां ढूंढना)

Flow Chart के बाद प्रोग्राम बनाने से यदि उस प्रोग्राम में कुछ गलतियां हो तो उसे ढूंढने पहचानने तथा दूर करने में काफी आसानी होती है

  • No need to Understand Programming Language Syntax (प्रोग्रामिंग भाषा के सिंटेक्स जानना आवश्यक नहीं)

यदि किसी प्रोग्रामर को किसी कंप्यूटर की भाषा विशेष का ज्ञान नहीं हो तो भी वह Flow Chart को समझ कर स्वयं के जानने वाली कंप्यूटर भाषा में प्रोग्राम लिख सकता है|

  • Transaction of Information (सूचना का आदान प्रदान)

Flow Chart के माध्यम से यूज़र, सिस्टम एनालिस्ट को, एनालिस्ट प्रोग्रामर को अथवा ऑपरेटर को कोई भी तथ्य अथवा सूचना दे सकते हैं जो कि उनके कार्य में सहायक सिद्ध हो सकती हैं|

  • Picture of Real Problem (प्रभावी एवं वास्तविक समस्या का चित्रण)

जिस अनुप्रयोग के लिए प्रोग्राम बनाया जा रहा है उसके विस्तृत अन्वेषण का एक प्रभावी चित्रण Flow Chart में देखा जा सकता है Flow Chart के माध्यम से वास्तविक समस्या तथा उसके प्रभावी समाधान को समझा जा सकता है

Pseudo code

किसी प्रोग्राम को विकसित करने की प्रक्रिया, किए जाने वाले कार्य को समझने एवं कार्य के संपन्न होने हेतु तर्क निर्धारण से प्रारंभ की जाती है और यह कार्य Flow Chart अथवा Pseudo code की सहायता से किया जाता है Pseudo code Flow Chart का एक विकसित विकल्प है Pseudo code मैं विभिन्न आकृतियों अथवा चिन्हों की अपेक्षा प्रोग्राम की प्रक्रिया को क्रम से लिखा जाता है क्योंकि इसके प्रोग्राम को डिजाइन करने में महत्वपूर्ण स्थान है अतः इसे प्रोग्राम डिजाइन भाषा (Program Design Language) भी कहा जाता है|


उदाहरण – तीन संख्याओं का योग निकालने के लिए Pseudo code

STEP 1 : START

STEP 2 : READ a, b, c

STEP 3 : sum=a+b+c

STEP 4 : PRINT sum

STEP 5 : STOP


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