Dynamic Range Correction in image

Dynamic Range Correction in image

Dynamic range शब्द का प्रयोग, अक्सर कई फील्ड में Dynamic range शब्द का प्रयोग करने वाली सबसे अधिक और सबसे कम संभावित वैल्यूज के बीच के अनुपात का वर्णन करने के लिए किया जाता है|

मनुष्य के देखने और सुनने की संवेदनशीलता की बहुत अधिक Dynamic range होती है मनुष्य एक साउंड प्रूफ रूम में होने वाली एक शांत आवाज को भी सुन सकता है और सबसे तेज रॉक कॉन्सर्ट को भी सुन सकता है| इसका अंतर 100 db से ज्यादा भी हो सकता है| जो 10,000,000,000 पावर का एक फैक्टर होता है| मनुष्य वस्तुओं को स्टारलाइट में तथा चमकदार सूर्य की रोशनी में देख सकता है| मनुष्य यहां तक की बिना चंद्रमा वाली रात अर्थात अमावस्या की रात में भी वस्तुएं रोशनी वाले दिन की तुलना में 1/ 1,000,000,000 रोशनी प्राप्त करता हैं जो 90 db का एक Dynamic range है| मानव इस तरह का अंतर एक ही समय में अनुभव नहीं कर सकते हैं आंखें अलग-अलग लाइट लेबल्स में एडजस्ट होने में समय लेती हैं और ऑप्टिकल ग्लेयर (चकाचौंध) की वजह से मानव आंख की Dynamic range एक दिए गए दृश्य के लिए वास्तव में बहुत सीमित होती है|

मानव की आवाज को सुनने का त्वरित Dynamic range भी इसी तरह से मास्किंग पर निर्भर होता है| इसलिए उदाहरण के तौर पर बहुत शोरगुल में एक फुसफुसाहट सुनाई नहीं देती है लेकिन एक अच्छी गुणवत्ता का ऑडियो रिप्रोडक्शन सिस्टम धीमी और तेज दोनों तरह की आवाजों को समान रूप से रिप्रोड्यूस करने में समर्थ होता हैं| साथ ही अच्छी गुणवत्ता का विजुअल डिस्प्ले सिस्टम भी रात के दृश्य में shadow की बारीकियों एवं दिन के दृश्य में सभी चमकदार एरिया को कैप्चर करने में समर्थ होता हैं| लेकिन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रयोग करके मानव द्वारा अनुभव किए जाने वाले Dynamic range को पाना काफी मुश्किल होता है इलेक्ट्रॉनिक रूप से रिप्रोड्यूस किए गए ऑडियो और वीडियो अक्सर कुछ ट्रिक्स का प्रयोग करते हैं ताकि व्यापक Dynamic range वाले ओरिजिनल मटेरियल को एक्शन गेम रिकॉर्ड किए गए Dynamic range में फिट किया जा सके, ताकि उन्हें अधिक आसानी से स्टोर एवं रिप्रोड्यूस किया जा सके| इन तकनीकों को Dynamic range compression कहा जाता है|

अक्सर जब हम किसी मूवी या गेम को देखते हैं एक डिस्प्ले shadow वाले दृश्यों के साथ-साथ चमकीले बाहरी रोशनी के दृश्य भी दिखाए जाते हैं| लेकिन वास्तव में डिस्प्ले से आने वाली लाइट का लेवल दोनों तरह के दृश्यों में लगभग समान होता है यह जानते हुए की डिस्प्ले में बहुत अधिक Dynamic range नहीं होती है| प्रोग्राम बनाने वाले रात्रि के दृश्यों को दिन के दृश्यों की तुलना में कई गुना कम चमकदार बनाने की चेष्टा नहीं करते लेकिन इसके बदले यह रात और दिन बताने के लिए अन्य संकेतों का प्रयोग करते हैं| रात के दृश्यों में आमतौर पर फीके रंग होंगे और इनसे अक्सर नीली रोशनी का प्रयोग किया जाएगा जो उसी तरह से है जिस तरह मानव आंख low light level पर रंगों को देखती है|


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