मॉनीटर क्या हैं और मॉनिटर के प्रकार

मॉनीटर (Monitor)

Monitor एक आउटपुट डिवाइस है। इसको विजुअल डिस्प्ले यूनिट भी कहा जाता है। यह देखने में टीवी की तरह होता है। माॅनीटर एक सबसे महत्वपूर्ण आउटपुट डिवाइस है। इसके बिना कम्प्यूटर अधूरा होता है। यह आउटपुट को अपनी स्क्रीन पर Soft Copy के रूप में प्रदर्शित करता है। माॅनिटर द्वारा प्रदर्शित रंगों के आधार पर यह तीन प्रकार के होते है।

मोनोक्रोम (Monochrome)

यह शब्द दो शब्दों मोनो (Mono) अर्थात एकल (Single) तथा क्रोम (Chrome) अर्थात रंग (Color) से मिलकर बना है इसलिये इसे Single Color Display कहते है तथा यह मॉनीटर आउटपुट को Black & White रूप में प्रदर्शित (Display) करता है|

ग्रे-स्केल (Gray-Scale)

यह मॉनीटर मोनोक्रोम जैसे ही होते हैं लेकिन यह किसी भी तरह के Display को ग्रे शेडस (Gray Shades) में प्रदर्शित (Show) करता हैं इस प्रकार के मॉनीटर अधिकतर हैंडी कंप्यूटर जैसे लैप टॉप (Laptop) में प्रयोग किये जाते हैं

रंगीन मॉनीटर (Color Monitors)

ऐसा मॉनीटर RGB (Red-Green-Blue) विकिरणों के समायोजन के रूप में आउटपुट को प्रदर्शित करता है सिद्धांत के कारण ऐसे मॉनीटर उच्च रेजोल्यूशन (Resolution) में ग्राफिक्स (Graphics) को प्रदर्शित करने में सक्षम होते हैं कंप्यूटर मेमोरी की क्षमतानुसार ऐसे मॉनीटर 16 से लेकर 16 लाख तक के रंगों में आउटपुट प्रदर्शित करने की क्षमता रखते हैं|

Types of Monitor (मॉनिटर के प्रकार)

  • CRT Monitor
  • Flat Panel Monitor
  • LCD (Liquid Crystal Display)
  • LED ( Light Emitting Diode)
  • OLED (Organic Light-emitting diode)
  • TFT (Thin film transistor)
  • Touch Screen Monitor
  • Plasma Screen Monitor

CRT Monitor

CRT का पूरा नाम Cathode Ray Tube हैं | पहले के समय में यह Monitor सबसे ज्यादा Use होते थे| जिसे VDU (Visual display Unit) भी कहते हैं इसका मुख्य भाग cathode Ray tube होता हैं, जिसे Picture tube कहते हैं| CRT मॉनीटर में पिक्चर ट्यूब एलीमेंट होता है जो टी.वी. सेट के समान होता है यह ट्यूब सी.आर.टी. कहलाती है सी.आर.टी. तकनीक सस्ती और उत्तम कलर में आउटपुट प्रदान करती है| 

यह एक ऐसा मॉनिटर है जो स्क्रीन पर चित्रों को बनाने के लिए इलेक्ट्रॉन बीम (electron beam) का उपयोग करता है। इस इलेक्ट्रॉनिक बीम के अंदर एक प्रकार की gun (बंदूक) होती है जो इलेक्ट्रॉनिक किरणों को आग लगाने में मदद करती है। जिसके कारण इलेक्ट्रॉनिक किरणे मॉनिटर की सतह पर बार बार टकराती है। इलेक्ट्रॉनिक किरणों के सतह पर टकराने की वजह से मॉनिटर में अलग-अलग प्रकार के रंग पैदा होते है और इन्ही रंगो के कारण मॉनिटर में इमेज या वीडियो display होती है।


CRT मॉनिटर के अपने कुछ फायदे हैं जैसे कि इनकी कीमत काफी कम होती है और इनका कंट्रास्ट काफी अधिक होता है। लेकिन इनके कुछ नुकसान भी होता है जैसे कि यह ज्यादा बिजली की खपत करते हैं, इनका वजन ज्यादा होता है और इनसे  रेडिएशन भी अधिक होता हैं।

Flat panel Monitor

CRT तकनीक के स्थान पर यह तकनीक विकसित की गयी जिसमे कैमीकल व गैसों को एक प्लेट में रखकर उसका प्रयोग Display में किया जाता है यह बहुत पतली स्क्रीन (Screen) होती है| flat Panel वजन में हल्की तथा बिजली की खपत कम करने वाली होती है इसमें द्रवीय क्रिस्टल डिस्प्ले (Liquid Crystal Display-LCD) तकनीक प्रयोग की जाती है| LCD में CRT तकनीक की अपेक्षा कम स्पष्टता होती है इनका Use Laptop आदि में किया जाता है

फ्लैट मॉनिटर का वजन काफी हल्का होता है जिसके कारण इन्हे रखना आसान होता हैं| यह portable होता है अर्थात इसे आसानी से कहीं पर भी ले जाया जा सकता है। यह बहुत कम मात्रा में बिजली की खपत (consume) करते है। पुराने मॉनिटर की तुलना में इनका resolution अधिक होता है। इन मॉनिटर को दिवालो में लटकाया जा सकता है।

LCD (Liquid Crystal Display)

CRT मॉनिटर आकार में बहुत बड़े और भारी होते थे, Technology के विकास के साथ Monitor ने भी अपने रूप बदले और आज CRT Monitor के बदले LCD Monitor प्रचलन में आ गए है LCD का पूरा नाम (लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले) होता है। यह एक प्रकार का मॉनिटर है जिसे liquid crystals का उपयोग करके बनाया जाता है। इन मॉनिटर की सबसे खास बात यह होती है कि इनका वजन काफी कम होता है और यह बिजली की खपत भी बहुत कम करते हैं। इनकी कीमत भी कम होती है।

LCD का प्रयोग अधिकतर कैलकुलेटर तथा डिजिटल घड़ियों को बनाने में किया जाता है। LCD का मुख्य लाभ यह है कि ये तेज प्रकाश (bright light) में बहुत अधिक चमकते है जबकि LED को प्रकाश में देखना मुश्किल होता है| इसके अलावा LCD का इस्तेमाल कंप्यूटर, लेपटॉप और टेलीविजन में किया जाता है।


LED (Light Emitting Diode)

LED मॉनीटर आज बाजार में मॉनीटर के नवीनतम प्रकार हैं। ये फ्लैट पैनल हैं, या थोड़ा घुमावदार डिस्प्ले जो बैक- लाइटिंग के लिए कोल्‍ड कैथोड फ्लोरोसेंट (CCFL) की बजाय बैक-लाइटिंग के लिए light-emitting diodes का उपयोग करते हैं। एलईडी मॉनीटर, सीआरटी और एलसीडी की तुलना में बहुत कम बिजली का उपयोग करते है और उन्हें पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है।

एलईडी मॉनीटर के फायदे यह है कि वे हाइयर contrast वाले इमेज का उत्पादन करते हैं, जब डिस्‍पोज की बात आती हैं तो वे कम नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव डालते है।यह सीआरटी या एलसीडी मॉनीटर से अधिक टिकाऊ होते हैं, और इसमें बहुत पतली डिज़ाइन होती है। चलते समय वे बहुत गर्मी पैदा नहीं करते हैं। एकमात्र नकारात्मकता यह है कि वे अधिक महंगे हो सकते हैं, खासतौर पर हाई-एंड मॉनीटर के लिए जो नए घुमावदार डिस्प्ले जारी किए जा रहे हैं।

इस मॉनिटर का आविष्कार P. Mitchell के द्वारा किया गया था। यह मॉनिटर बहुत कम बिजली की खपत (consume) करते है। पुराने समय के जो LED Monitor होते थे वो केवल लाल रंग को ही डिस्प्ले करते थे लेकिन आजकल के LED मॉनिटर बहुत सारे रंगों को डिस्प्ले करते हैं जैसे – लाल, हरा, पीला, नीला, नारंगी आदि। LED मॉनिटर बहुत अधिक विश्वसनीय (reliable) होते है। यह मॉनिटर काफी मॉडर्न और एडवांस होते है जो चित्रों को अच्छे तरीके से दिखाते (display) है। इस मॉनिटर का उपयोग विभिन्न प्रकार के devices में किया जाता है जैसे :- लैपटॉप स्क्रीन, मोबाइल फोन, टीवी, कंप्यूटर मॉनिटर, टैबलेट आदि।

OLED (Organic Light-emitting diode)

OLED का पूरा नाम Organic Light-emitting diode (ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड) है। यह एक प्रकार का फ्लैट पैनल मॉनिटर है जो LCD मॉनिटर की तुलना में अधिक कुशल (efficient) है। OLED कार्बनिक पदार्थ से मिलकर बना होता है और इसको कार्य करने के लिए किसी backlight की आवश्यकता नहीं पड़ती। यह खुद ही light (प्रकाश) को बना लेता है।

यह LCD मॉनिटर की तुलना में अधिक पतला और हल्का होता है। इस मॉनिटर की performance काफी अच्छी होती है और यह बेहतर तरीके से चीज़ो को दिखाता है। इन मॉनिटर का उपयोग लेपटॉप, कंप्यूटर, टीवी, मोबाइल फोन, डिजिटल कैमरा, टैबलेट जैसे devices में किया जाता है।

TFT (Thin film transistor)

TFT का पूरा नाम Thin film transistor (थिन-फिल्म ट्रांजिस्टर) होता है। यह एक प्रकार का फ्लैट पैनल मॉनिटर है जिसकी स्क्रीन काफी पतली और लम्बी होती है। TFT मॉनिटर में मौजूद सभी pixel को नियंत्रित (control) करने के लिए चार प्रकार के ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता है। यह मॉनिटर सभी प्रकार के फ्लैट मॉनिटर को बेहतर resolution प्रदान करते है। इस मॉनिटर की स्क्रीन क्वालिटी काफी अच्छी होती है जिसके कारण यूजर चीज़ो को अच्छे से देख पाता है।

Touch screen Monitor

टच स्क्रीन मॉनिटर ऐसे डिस्प्ले डिवाइस होते हैं जिनपर हम picture तो देख ही सकते हैं लेकिन इनपर हम टच करके input भी दे सकते हैं। Touch Screen Monitor का उपयोग ATM machine, मोबाइल फ़ोन, कियोस्क, एटीएम, टेबलेट और पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) सिस्टम में किया जाता है|

सबसे पहले टच स्क्रीन मॉनिटर का आविष्कार 1975 में George hurst ने किया था। इस मॉनिटर का उपयोग करना काफी आसान होता है टचस्क्रीन मॉनिटर का उपयोग करके यूजर प्रोग्राम को चालू कर सकता है, फाइलों को चालू कर सकता है, उन्हें डिलीट कर सकता है। टचस्क्रीन मॉनिटर दो प्रकार के होते हैं –Resistive टचस्क्रीन और Capacitive टचस्क्रीन।

Plasma Screen Monitor

प्लाज्मा स्क्रीन मॉनिटर एक प्रकार का फ्लैट पैनल है जिसकी स्क्रीन काफी पतली होती है जिसके कारण इन्हे दीवार पर लगाया जा सकता है। इस मॉनिटर की स्क्रीन LCD मॉनिटर की तुलना में अधिक bright होती है। इस मॉनिटर का उपयोग कंप्यूटर , लेपटॉप जैसे devices में किया जाता है। यह मॉनिटर 1920 x 1080 तक के resolution को सपोर्ट करता है। Plasma Screen Monitor को Gas-discharge मॉनिटर भी कहते है, इस डिस्प्ले का प्रयोग लगभग 40 inch और उससे बड़े TV displays में किया जाता है|

मॉनीटर के लक्षण

किसी भी प्रकार के मॉनीटर के अंदर कुछ खास लक्षण होते है जिनके आधार पर ही इनके गुणवत्ता को परखा जाता है मॉनीटर के मुख्य लक्षण रेजोल्यूशन रिफ्रेश दर डोंट पिच इंटरलेसिंग नॉन इंटरलेसिंग बिट मेपिंग आदि है जिनके आधार पर इनकी गुणवत्ता को परखा जाता हैं

Resolution

मॉनीटर का महत्वपूर्ण गुण – रेजोल्यूशन (Resolution) यह स्क्रीन (Screen) के चित्र (Picture) की स्पष्टता (Sharpness) को बताता है अधिकतर डिस्प्ले (Display) डिवाइसेज में चित्र (Image) स्क्रीन (Screen) के छोटे छोटे डॉट (Dots) के चमकने से बनते है स्क्रीन के ये छोटे छोटे डॉट (Dots) पिक्सल (Pixels) कहलाते है यहाँ पिक्सल (Pixels) शब्द पिक्चर एलीमेंट (Picture Element) का संक्षिप्त रूप है स्क्रीन पर जितने अधिक पिक्सल होगें स्क्रीन का रेजोल्यूशन (Resolution) भी उतना ही अधिक होगा अर्थात चित्र (Image) उतना ही स्पष्ट होगा एक डिस्प्ले रेजोल्यूशन (Resolution) माना 640*480 है तो इसका अर्थ है कि स्क्रीन 640 डॉट के स्तम्भ (Column) और 480 डॉट की पंक्तियों (Row) से बनी है|

Refresh Rate

माॅनीटर लगातार कार्य करता रहता है । कम्प्यूटर स्क्रीन पर इमेज दायें से बायें एवं ऊपर से नीचे मिटती बनती रहती है। जो इलेक्ट्रान गन से व्यवस्थित होता रहता है। इसका अनुभव हम तभी कर पाते है जब स्क्रीन क्लिक करते है या जब रिफ्रेश दर कम होती है । माॅनीटर में रिफ्रेश रेट को हर्टज में नापा जाता है।

Dot Pitch:- डाॅट पिच एक प्रकार की मापन तकनीकी है। जो यह प्रदर्शित करती है। की दो पिक्सल के मध्य horizontal अन्तर या दूरी कितनी है। इसका मापन मिलीमीटर में किया जाता है। यह माॅनीटर की गुणवत्ता को प्रदर्षित करता है। माॅनीटर में डाॅटपिच कम होना चाहिये। इसको फाॅस्फर पिच भी कहा जाता है। कलर माॅनीटर की डाॅट पिच 0.15 MM से .30 MM तक होती है।

Interlacing or non Interlacing

यह एक ऐसी डिस्प्ले तकनीकी है। जो की माॅनीटर में रेजोल्यूशन की गुणवत्ता में और अधिक वृद्वि करती है। इन्टरलेसिंग माॅनीटर में इलेक्ट्रान गन केवल आधी लाईन खीचती थी क्योंकि इन्टरलेसिंग माॅनीटर एक समय में केवल आधी लाइन को ही रिफ्रेष करता है। यह माॅनीटर प्रत्येक रिफ्रेष साइकिल में दो से अधिक लाइनों को प्रदर्षित कर सकता है। इसकी केवल यह कमी थी कि इसका response time धीमा होता था।दोनों प्रकार के माॅनीटर की रेजोल्यूशन क्षमता अच्छी होती है। परन्तु नाॅन इन्टरलेसिंग माॅनीटर ज्यादा अच्छा होता है।

Bit Mapping

पहले जो माॅनीटर का प्रयोग किया जाता था उनमें केवल टेक्सट को ही डिस्प्ले किया जा सकता था और इनकी पिक्सेल की संख्या सीमित होती थी। जिससे टेक्स का निर्माण किया जाता था। ग्राफिक्स विकसित करने के लिये जो तकनीकी प्रयोग की गई जिसमें टैक्‍स्‍ट और ग्राफिक्स दोनों को प्रदर्शित किया जा सकता हैं वह बिट मैपिंग कहलाती है। इस तकनीकी में बिट मैप ग्राफिक्स का प्रत्येक पिक्सेल ऑपरेटर के द्वारा नियन्त्रित होता है। इससे ऑपरेटर के द्वारा किसी भी आकृति को स्क्रीन पर बनाया जा सकता है।

वीडियो मानक या डिस्प्ले पद्धति (Video Standard or Display Modes)

वीडियो मानक से तात्पर्य मॉनीटर में लगाये जाने वाले तकनीक से है| पर्सनल कंप्यूटर की वीडियो तकनीक में दिन प्रतिदिन सुधार आता जा रहा है| अब तक परिचित हुए मानकों में वीडियो स्टैंडर्ड के कुछ उदाहरण निम्नलिखित है

  1. कलर ग्राफिक्स अडैप्टर (Color graphics Adapter)
  2. इन्हैंन्स्ड ग्राफिक्स अडैप्टर (Enhanced Graphics Adapter)
  3. वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Video graphics Array)
  4. इक्स्टेण्डेड ग्राफिक्स ऐरे (Extended Graphics Array)
  5. सुपर वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Super Video graphics Array)

Video Standard or Display Mode के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें |

सरल शब्दों में सारांश
  1. मॉनिटर एक आउटपुट डिवाइस होता हैं एवं इसको विजुअल डिस्‍प्‍ले यूनिट भी कहा जाता हैं।
  2. मोनोक्रोम शब्‍द दो शब्‍दों मोनो (एकल) तथा क्रोम (रंग) से मिलकर बना हैं इस‍लिए इसे सिंगल कलर डिस्‍प्‍ले कहॉं जाता हैं।
  3. सी.आर.टी. का फुल फॉर्म कैथोड रे ट्यूब होता हैं।
  4. कैथोड रे ट्यूब मॉनिटर सबसे ज्‍यादा प्रयोग होने वाला आउटपुट डिवाइस हैं जिसे विजुअल डिस्‍प्‍ले यूनिट भी कहते हैं।
  5. एल.सी.डी. का फुल फॉर्म लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले होता हैं।
  6. एल.ई.डी. का फुल फॉर्म लाइट एमिटिंग डायोड होता हैं।

इस पोस्ट से सम्बंधित प्रश्न और उत्तर

मॉनिटर क्या है?

मॉनिटर एक इलेक्ट्रॉनिक आउटपुट डिवाइस है जिसका उपयोग कंप्यूटर पर एन्टर और प्रोसेस की जाने वाली जानकारी को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। मॉनिटर का प्राथमिक उपयोग कंप्यूटर द्वारा उत्पन्न इमेज, टेक्स्ट, वीडियो और ग्राफिक्स जानकारी को कंप्यूटर के वीडियो कार्ड के माध्यम से प्रदर्शित करना है।

मॉनिटर किसे कहते हैं?

मॉनिटर को विज़ुअल डिस्प्ले यूनिट (VDU) भी कहा जाता है। वीडीयू में एक डिस्प्ले डिवाइस और एक कीबोर्ड होता है, और इसमें एक माउस भी शामिल हो सकता है।

मॉनिटर का आविष्कार किसने किया?

कार्ल फर्डिनेंड ब्रौन को कैथोड-रे ट्यूब (CRT) के अभूतपूर्व आविष्कार के कारण मॉनिटर के जनक के रूप में जाना जाता है, जो डिस्प्ले तकनीक के इतिहास में एक महत्वपूर्ण विकास है। 1897 में ब्रौन द्वारा किया गया CRT का आविष्कार गेम-चेंजर था|

पहला 4k मॉनिटर कब आया था?

IBM T220 को जून 2001 में पेश किया गया था और यह 3840×2400 के रिज़ॉल्यूशन को मूल रूप से समर्थन करने वाला पहला मॉनिटर था।

मॉनिटर के 5 उपयोग क्या हैं?

कंप्यूटर मॉनिटर के पांच उपयोग:

  • मॉनिटर का उपयोग गेमिंग के लिए किया जाता है|
  • मॉनिटर का उपयोग व्यावसायिक उपयोगकर्ताओं द्वारा MS Excel जैसे विभिन्न व्यवसाय केंद्रित सॉफ़्टवेयर एप्लीकेशन का उपयोग करने के लिए किया जाता है।
  • कंप्यूटर मॉनिटर का उपयोग किसी भी डेटा के परिणाम को प्रदर्शित करने के लिए और डेटा एंट्री के लिए भी किया जाता है।
  • इसका उपयोग वेब ब्राउजिंग के लिए किया जाता है।
  • आजकल इसका उपयोग मनोरंजन के लिए किया जाता है।

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