डेस्कटॉप प्रकाशन का उपयोग

डेस्कटॉप पब्लिकेशन का उपयोग (Uses of Desktop Publishing)

पाठ्य तैयार करना (Creating Text) इस चरण मे सामान्यतया किसी वर्ड प्रोसेसर द्वारा पाठ्य सामग्री तैयार की जाती है, जिसमे टाइप करना, प्रूफ देखना, वर्तनी की जांच करना, सम्पादन करना, संशोधन करना आदि शामिल होता है।

  1. चित्र तैयार करना (Creating Illustrations)
  2. पेज की डिजाइन बनाना (Designing Page)
  3. पेज तैयार करना (Making The Page)
  4. पब्लिकेशन को छापना (Printing The Publication)
  5. पब्लिकेशन को अंतिम रूप देना (Finalizing the Publication)

चित्र तैयार करना (Creating Illustrations)

यह कार्य सामान्यतया दो प्रकार से किया जाता है या तो किसी ग्राफिक सॉफ्टवेयर द्वारा आवश्यक चित्र बना लिये जाते है या पहले से बने हुए अथवा छपे हुए चित्र को किसी स्कैनर द्वारा इलैक्ट्राॅनिक डाटा मे बदलकर कम्प्यूटर मे स्टोर कर लिया जाता है इस विधि मे स्कैनर की क्षमता अधिक महत्वपूर्ण होती है आवश्यकता के अनुसार इन दोनो विधियो का उपयोग करके सभी प्रकार के चित्र रेखाचित्र, फोटो आदि तैयार कर लिये जाते है।

पेज की डिजाइन बनाना (Designing Page)

इस चरण मे प्रत्येंक पृष्ठ की टेम्पलेट तैयार की जाती है इसमे पृष्ठ की लंबाई, चैडाई और चारो ओर छोडे जाने वाले मार्जिन तय कर लिये जाते है यह कार्य डीटीपी सॉफ्टवेयर द्वारा करना कही आसान है क्योकि उसमे आप विभिन्न प्रकार की डिजाइने मिनिटो मे बनाकर देख सकते है कि कौन सी डिजाइन आपके लिये सर्वश्रेष्ठ रहेगी।

पेज तैयार करना (Making The Page)

यह चरण सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है, वास्तव मे यही डीटीपी का मुख्य चरण है, इनमे समस्त तैयार की हुई सामाग्री को इलेक्ट्रॉनिक पृष्ठ पर अच्छी तरह लगाया जाता है इसमे पाठ्य के फाण्ट आकार तथा चित्रो के आकार के बारे मे निर्णय लिये जाते है और उन्हे इस प्रकार लगाया जाता है कि प्रत्येक प्रष्ठ अधिक अधिक सुन्दर और उपयोगी बने डीटीपी सॉफ्टवेयर द्वारा ऐसा करना बहुत सरल होता है क्योकि इसमे आप अपने कम्प्यूटर की स्क्रीन पर ही किसी पेज को कई प्रकार से लगाकर देख सकते है कि कौन सा प्रकार सबसे अच्छा रहेगा।

प्रकाशन को छापना (Printing The Publication)

इस चरण मे इलैक्ट्रांनिक रूप से तैयार किए गए प्रकाशन के सभी पृष्ठो को किसी लेजर प्रिंटर पर छापा जाता है इस चरण मे परम्परागत विधि और डीटीपी विधि मे अंतर साफ मालूम पडता है, क्योकि परम्परागत प्रकाशन मे सामाग्री भातिक रूप मे पहले ही छपी हुई उपलब्ध होती है जबकि डीटीपी मे सामाग्री सबसे बाद मे छापी जाती है।

प्रकाशन के अंतिम रूप देना (Finalizing the Publication)

इस चरण मे प्रकाशित दस्तावेज को एक बार पुनः भली प्रकार देखकर उसके खाके और सामाग्री मे यत्र तत्र संशोधन किए जाते है और अंतिम बार छाप कर वह प्रति ऑफसेट छपाई के लिए दे दी जाती है।


error: Content is protected !!