वायरस क्या है?(What is Virus)
VIRUS का पूरा नाम Vital Information Resources Under Siege है। वायरस कम्प्यूटर में छोटे- छोटे प्रोग्राम होते है। जो auto execute program होते जो कम्प्यूटर में प्रवेष करके कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली को प्रभावित करते है। वायरस कहलाते है।
वायरस एक द्वेषपूर्ण प्रोग्राम है जो कंप्यूटर के डाटा को क्षतिग्रस्त करता है। यह कंप्यूटर डाटा मिटाने या उसे खराब करने का कार्य करता है। वायरस जानबूझकर लिखा गया प्रोग्राम है। यह कंप्यूटर के बूट से अपने को जोड़ लेता है और कंप्यूटर जितनी बार बूट करता है वायरस उतना ही अधिक फैलता है। वायरस हार्ड डिस्क के बूट सेक्टर में प्रवेश कर के हार्ड डिस्क की गति को धीमा कर देता है प्रोग्राम चलने से भी रोक सकता है। कई वायरस काफी समय पश्चात भी डाटा और प्रोग्राम को नुकसान पंहुचा सकते हैं। किसी भी प्रोग्राम से जुड़ा वायरस तब तक सक्रीय नहीं होता जब तक प्रोग्राम को चलाया न जाय। वायरस जब सक्रीय होता है तो कंप्यूटर मेमोरी में अपने को जोड़ लेता है और फैलने लगता है|
कुछ प्रसिद्ध कंप्यूटर वायरस (A few prominent computer Viruses)
आज हमारा कम्प्यूटर कई तरह के वायरसो से ग्रस्त होता है| आये दिन नये – नये वायरस का विकास होता रहता है| इन्टरनेट के अविष्कार ने वायरसों के प्रसार को एक नया आयाम दिया है| न जाने कितने तरह के वायरस आज नेट के माध्यम से कंप्यूटरो को संक्रमित कर रहे है| कुछ प्रसिद्ध वायरस जिन्होंने पिछले दिनों में कंप्यूटरो को बड़े पैमाने पर संक्रमित किया है|
- माईकलएन्जिलो (Michelangelo)
- डिस्क वाशर (Disk Washer)
- सी ब्रेन (C-Brain)
- मैकमैग( MacMag)
- जेरुसलेम (Jerusalem)
- कोलम्बस (Columbus)
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माईकलएन्जिलो (Michelangelo) –
अभी तक का सबसे अधिक कुख्यात वायरस माईकल एन्जिलो का नाम ऐसा इसलिए पड़ा क्योकि यह वायरस 6 मार्च, जो माईकलएन्जिलो की जन्म तिथि है, इस दिन यह डाटा को समाप्त कर देता था| इसलिए इसे “6 मार्च का वायरस” भी कहा जाता है| इस वायरस का पता 1991 के मध्य में लगाया गया था तथा इसके बाद के सभी वायरस निरोधक सॉफ्टवेयर (Anti virus software) इसे समाप्त करने में सक्षम थे| इस वायरस के कुख्यात होने के पीछे यह भी कारण था की बहुत सारे एंटी वायरस शोधकर्ताओ ने 6 मार्च को कम्प्यूटर प्रणाली के व्यापक सर्वनाश की भविष्यवाणी की थी| इस भविष्यवाणी का डर लोगो के दिल में 1990 के पूरे दशक तक प्रत्येक 6 मार्च को रहता था जो बहुत बाद में समाप्त हुआ|
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डिस्क वाशर (Disk Washer) –
डिस्क वाशर वायरस का नाम इसके अन्दर समाहित सन्देश “Disk Washer with Love” के कारण पड़ा | जिसका पता भारत में 1993 के आखिरी महीनो में लगाया गया| यह वायरस इतना खतरनाक था की यह हार्डडिस्क में उपलब्ध सभी डाटा को समाप्त कर देता था| 1994 तथा इसके बाद तैयार किये जाने वाले एंटीवायरस साफ्टवेयर इस वायरस का पता लगाने तथा इसे समाप्त करने में सक्षम थे|
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सी-ब्रेन (C–Brain) –
अमजद तथा बासित दो पाकिस्तानी भाइयो ने इस वायरस को जनवरी 1986 में विकसित किया था| वायरस पर उन दोनों भाइयो का ही पता था जो सही था इसका उद्देश्य लोगो को अवैध ढंग से साफ्टवेयर खरीददारी के लिए हतोत्साहित करना था इसे दुनिया का संभवतः सबसे पहला वायरस माना जाता है| साथ ही अबतक के सभी वायरसों में यह सबसे अधिक चर्चा में रहने वाला वायरस था| जिसने लाखो कंप्यूटरो को संक्रमित किया था| यह बूट सेक्टर वायरस था|
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मैकमैग (Macmag) –
यह वायरस आपके मानिटर पर शांति सन्देश देकर समाप्त हो जाता था| यह केवल एपल मैकिन्टाश कम्प्यूटरो को ही संक्रमित करता था| रिचर्ड ब्रांडो को इस वायरस का जन्मदाता समझा जाता है| रिचर्ड मैकमैग पत्रिका के प्रकाशक थे तथा वायरस का नाम इस पत्रिका पर ही पड़ा| इस वायरस ने बहुत बड़ा नुकसान तो नही किया |
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जेरुसलेम(Jerusalem) –
यह वायरस पहली बार हेवरेयु विश्वविध्यालय, जेरुसलेम में लगभग 1987 में पाया गया था| इसलिए इसका नाम जेरुसलेम पड़ा| इसकी एक खास बात यह थी की यह केवल शुक्रवार को ही सक्रिय होता था| यह वायरस बहुत खतरनाक था| यह वायरस शुक्रवार के दिन जिन – जिन फाइलो पर काम किया जाता था उन सभी फाइलो को नष्ट करता था|
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कोलम्बस(Columbus) –
कोलम्बस वायरस को डेटाक्राइम तथा 13 अक्टूबर के नाम से भी जाना जाता है| इसका नामांकरण 13 अक्टूबर इसलिए हुआ था की यह पूरे विश्व के सक्रमित कंप्यूटरो पर 13 अक्टूबर 1989 को ही सक्रीय हुआ था| यह भी जेरुसलेम की तरह ही यह क्रियान्वयन योग्य फाइलों को संक्रमित कर हार्डडिस्क के डेटा को नष्ट करता था|
सरल शब्दों में सारांश
- इन्टरनेट के अविष्कार ने वायरसों के प्रसार को एक नया आयाम दिया है|
- अभी तक का सबसे अधिक कुख्यात वायरस माईकल एन्जिलो है इसका नाम ऐसा इसलिए पड़ा क्योकि यह वायरस 6 मार्च, जो माईकलएन्जिलो की जन्म तिथि है, इस दिन यह डाटा को समाप्त कर देता था|
- डिस्क वाशर वायरस का नाम इसके अन्दर समाहित सन्देश “Disk Washer with Love” के कारण पड़ा | जिसका पता भारत में 1993 के आखिरी महीनो में लगाया गया|
- अमजद तथा बासित दो पाकिस्तानी भाइयो ने इस वायरस को जनवरी 1986 में विकसित किया था|
- जेरुसलेम वायरस पहली बार हेवरेयु विश्वविध्यालय, जेरुसलेम में लगभग 1987 में पाया गया था| इसलिए इसका नाम जेरुसलेम पड़ा|