वायरस का इतिहास

वायरस का इतिहास

VIRUS का पूरा नाम Vital Information Resources Under Siege है। वायरस कम्प्यूटर में छोटे- छोटे प्रोग्राम होते है। जो auto execute program होते जो कम्प्यूटर में प्रवेष करके कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली को प्रभावित करते है। वायरस कहलाते है।

वायरस का इतिहास (History of Virus)

वायरस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कैलिफोर्निया विश्वविधालय के एक विधार्थी फ्रेड कोहेन (Fred Cohen) ने अपने शोध पत्र में किया था | उस विधार्थी ने अपने शोधपत्र में यह दर्शाया था की कैसे कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखा जाये जो कम्प्यूटर में घुसकर उस की प्रणाली पर आक्रमण करे, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार वायरस हमारे शारीर में घुसकर इसे सक्रमित करता है| सर्वप्रथम कम्प्यूटर वायरस को ढूँढना अत्यंत ही कठिन था| इसके बारे में लोगो को 1980 के दशक तक पता नही था तथा लोग इस बात को भी अस्वीकार करते थे कि इस तरह का कोई प्रोग्राम होता है जो कम्प्यूटर को बाधा पहूँचा सकता हैं |

आधुनिक वायरस में C Brain नाम का पहला वायरस माना जाता है जो पूरे विश्व में बड़े स्तर पर फैला था | इस वायरस को एक समाचार का रूप मिला था क्योकि इस वायरस में वायरस बनाने वाले का नाम, पता तथा इसका विशेषाधिकार वर्ष (1986) मौजूद था | उस प्रोग्राम में दो पाकिस्तानी भाइयो बासित तथा अमजद का नाम उनके कम्पनी का नाम तथा पूर्ण पता उपलब्ध था| उस समय वायरस बिल्कुल नया था अत: लोगो ने इसके बारे में बहुत गंभीरता से नही सोचा |

सन 1988 के प्रारम्भ में मैकिन्टोश शांति वायरस उभरा | यह वायरस एक पत्रिका मैकमैग (MacMag) के प्रकाशक रिचर्ड ब्रेनड्रा (Richard Brando) की ओर से था | इस वायरस को मैकिन्टोश आपरेटिंग सिस्टम को बाधित करने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया था तथा 2 मार्च 1988 को निम्नलिखित सन्देश स्क्रीन पर आया –

रिचर्ड ब्रेनडा, मैकमैग के प्रकाशक तथा इसके कर्मचारी दुनिया के लिए समस्त मैकिन्टोश प्रयोक्ताओ को विश्व शांति का सन्देश देना चाहते है|

वायरस दिन प्रतिदिन समय के अनुसार आते गए तथा इससे बचने के लिए प्रयोक्ता ने इस समस्या का हल भी ढूँढना शुरू किया और तब वायरस विरोधी सॉफ्टवेयर का अविष्कार हुआ जो आज अपने आप में एक सम्पूर्ण उधोग है | परन्तु जैसे जैसे वायरस विरोधी सॉफ्टवेयर बनते गए, उसी गति से नये-नये वायरस भी बनाये जाने लगे | जब वायरस विरोधी सॉफ्टवेयर उधोग ने समझ लिया की अब उन्होंने इस पर नियंत्रण कर लिया है तभी मैक्रो वायरस का उदय हुआ | सामान्य वायरस क्रियान्वित योग्य फ़ाइलो तथा सिस्टम क्षेत्र को संक्रमित करते थे जबकि मैक्रो वायरस ने मइक्रो साफ्टवेयर वर्ड के फ़ाइलो को संक्रमिक करना शुरू किया |

इसके बाद कई वायरस का निमार्ण किया गया । जो अलग अलग प्रकार से कार्य करते है।


वायरस के लक्षण :-

  1. कम्पुटर में उपयोगी सूचनाये नष्ट होना |
  2. डायरेक्ट्री में बदलाव करना |
  3. हार्ड डिस्क व फ्लापी डिस्क को फार्मेट करना |
  4. कम्प्यूटर की गति को कम करना |
  5. की-बोर्ड की कुंजियो का कार्य बदल देना |
  6. प्रोग्राम तथा अन्य फइलो का डाटा बदल देना |
  7. फइलो को क्रियान्वित होने से रोक देना |
  8. स्क्रीन पर बेकार की सूचना देना |
  9. बूट सेक्टर में प्रविष्ट होकर कम्प्यूटर को कार्य न करने देना |
  10. फइलो के आकार को परिवर्तित कर देना |
सरल शब्दों में सारांश
  1. वायरस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कैलिफोर्निया विश्वविधालय के एक विधार्थी फ्रेड कोहेन (Fred Cohen) ने अपने शोध पत्र में किया था|
  2. सर्वप्रथम कम्प्यूटर वायरस को ढूँढना अत्यंत ही कठिन था| इसके बारे में लोगो को 1980 के दशक तक पता नही था |
  3. C Brain नाम का पहला वायरस माना जाता है जो पूरे विश्व में बड़े स्तर पर फैला था क्योकि इस वायरस में वायरस बनाने वाले का नाम, पता तथा इसका विशेषाधिकार वर्ष (1986) मौजूद था|
  4. C Brain नाम का पहला वायरस पाकिस्तान के दो भाइयो बासित तथा अमजद ने बनाया था |
  5. सन 1988 के प्रारम्भ में मैकिन्टोश शांति वायरस उभरा | यह वायरस एक पत्रिका मैकमैग (MacMag) के प्रकाशक रिचर्ड ब्रेनड्रा (Richard Brando) की ओर से था

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