System Processing Modes (कम्प्यूटर प्रोसेसिंग की विधियाँ)
कम्प्यूटर पर कार्य करने की कई विधियां हैं:-
- बैच प्रोसेसिंग (Batch Processing)
- टाइम शेयरिंग (Time Sharing)
- मल्टी प्रोग्रामिंग (Multi Programming)
- मल्टी प्रोसेसिंग (Multi Processing)
बैच प्रोसेसिंग (Batch Processing)
फ्लॉपी डिस्क के प्रचलन से पहले, जब मेनफ्रेम कम्प्यूटर ही उपलब्ध थे, यह विधि आम थी। इसमें सारे कम्प्यूटर प्रोग्रामों को पंच (छिद्रित) कर एक साथ एक बैच में कम्प्यूटर में डाला जाता हैं। पहले इन कार्डों पर पंच हुए प्रोग्रामों को छोटे कम्प्यूटरों जिन्हें Front End Processor कहा जाता था की सहायता से मैग्नेटिक डिस्क पर उतार लिया जाता था और फिर डिस्क को मुख्य कम्प्यूटर पर लोड करके प्रोग्रामों को Execute कर लिया जाता था और संबंधित उपभोक्ताओं को परिणाम प्रिन्ट या पंच करके दे दिये जाते थे। उपभोक्ता अपने-अपने प्रोग्राम की त्रुटियां निकालकर प्रोग्रामों को ऑपरेटर को दे देते थे जो उन्हें पुन:निष्पादित करके वापिस करता था। इस विधि द्वारा परिणाम प्राप्त करने के लिए उपभोक्ताओं को लगभग 4 से 8 घंटे इंतजार करना होता था।
टाइम शेयरिंग (Time Sharing)
इस विधि में प्रत्येक उपभोक्ता के पास मुख्य कम्प्यूटर के केबिलों से जुड़ा एक एक सिरा (टर्मिनल) होता हैं (यह कम्प्यूटर कम से कम मिनी कम्प्यूटर अवश्य होना चाहिए)।
हर कम्प्यूटर जब चाहे अपने टर्मिनल के द्वारा कम्प्यूटर को प्रयोग कर सकता हैं। कम्प्यूटर कई टर्मिनलों से भेजे प्रोग्रामों को एक साथ संपन्न न करके उन्हें एक-एक करके ही लेता हैं। परंतु हर प्रोग्राम में इतना कम समय लगता हैं कि हर उपभोक्ता को यह लगता हैं कि कम्प्यूटर अपना पूरा समय उसी को दे रहा हैं। इस प्रकार कम्प्यूटर अपना एक-एक माइक्रो सेकंड सभी टर्मिनल एक साथ कार्य कर सकते हैं। बैच प्रोसेसिंग की तुलना में टाइम शेयरिंग संसाधन के कई लाभ हैं।
- समय और पैसे की बचत
- टर्न एराउंड समय की बचत क्योंकि उपभोक्ता अपना प्रोग्राम एक साथ ही ठीक कर सकता हैं।
- उपभोक्ता स्वंय ऑपरेट करते हैं इसलिए इस काम के लिए अलग से आपॅरेटर नही रखना पड़ता।
मल्टी प्रोग्रामिंग (Multi Programming)
इस विधि में मेमोरी कई भागों में बांट कर एक-एक भागीदार को दे दी जाती हैं जिसके बाद प्रोसेसर में एक साथ ही हमारे काम टाइम शेयरिंग की तरह कर लिये जाते हैं। इस विधि में कई उपभोक्ता एक साथ कम्प्यूटर का उपयोग कर सकते हैं यद्यपि इस विधि में बहुत अधिक आंतरिक स्मृति की जरूरत पड़ती हैं।
मल्टी प्रोसेसिंग (Multi Processing)
इस विधि में एक कम्प्यूटर में कई प्रोसेसर लगे हुए होते हैं जिन पर अलग-अलग प्रोग्राम चलाये जा सकते हैं। सुपर कम्प्यूटरों में इसी विधि के आधार पर काम होता हैं।
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