Compiler तथा Interpreter में अंतर
कम्पाइलर |
इंटरप्रेटर |
यह सम्पूर्ण प्रोग्राम को मशीन कोड में एक साथ Translate कर सकता हैं। |
यह सम्पूर्ण प्रोग्राम को मशीन कोड में Line-by line Translate कर सकता हैं।
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जब तक प्रोग्राम में निहित समस्त Syntax error को हटा नहीं दिया जाता हैं, हम प्रोग्राम का आउटपुट नहीं देख सकते हैं। | जहाँ तक प्रोग्राम Errors Free हैं, वहाँ तक का आउटपुट हम देख सकते हैं। |
यह प्रोग्राम मे निहित समस्त Syntax error एक साथ दर्शाता हैं। | यह एक बार में प्रोग्राम की किसी एक लाइन की Error दर्शाता हैं। |
कम्पाइलेशन के उपरान्त यह एक ऑब्जेक्ट प्रोग्राम (Object-File) बनाता हैं। | यह एक ऑब्जेक्ट प्रोग्राम नहीं (Object-File) बनाता हैं। |
कम्पाइलर अधिक मेन-मैमोरी का प्रयोग करता हैं। | इंटरप्रेटर को अपेक्षाकृत कम मेन मैमोरी की आवश्यकता होती हैं। |
प्रोग्राम का संपूर्ण क्रियान्वयन समय कम होता हैं। | प्रोग्राम का सम्पूर्ण क्रियान्वयन समय अधिक होता हैं। |
प्रोग्राम के Error-free होने के पश्चात् सम्पूर्ण प्रोग्राम को मशीन कोड में Convert करता हैं, एवं ऑब्जेक्ट कोड़ को Link करते हुए सीधे क्रियान्वित करता हैं। | प्रोग्राम के प्रत्येक क्रियान्वयन पर प्रत्येक लाइन का प्रारूप Check किया जाता हैं, एवं मशीन कोड में परिवर्तित किया जाता हैं। |
कम्पाइलर को डिजाइन करना मंहगा एवं कठिन होता हैं| | इंटरप्रेटर को डिजाइन करना अपेक्षाकृत सरल होता हैं। |