RFID क्या हैं? इसके उपयोग और प्रकार

RFID क्या हैं? (What is RFID?)

RFID का पूरा नाम “Radio Frequency Identification” होता है। जिसे हिंदी में ‘रेडियो आवृति पहचान’ कहा जाता है। यह एक वायरलेस तकनीक से संबंधित है। यह तकनीक रेडियो तरंगों की फ्रीक्वेंसी पर आधारित आइडेंटिफिकेशन का काम करता है। इस तकनीक का उपयोग स्वचालित रूप से वस्तु की पहचान या वस्तुओं को ट्रैक करने के लिए किया जाता है। RFID का मुख्य कार्य ऑब्जेक्ट्स जैसे:-जानवर, इंसान, तथा अन्य वस्तुओं को uniquely identify करना है।

यह एक ऐसी तकनीक है जो कि रेडियो तरंगों का इस्तेमाल इनफार्मेशन को पढने तथा स्टोर करने के लिए करता है। RFID तकनीक में मुख्य रूप से दो कॉम्पोनेन्ट पाये जाते है जिनमे से एक है RFID Tag जिसमे इनफार्मेशन डालकर स्टोर की जाती है और एक RFID Reader जो उस इनफार्मेशन को करके रीड करता है।

यह तकनीक RFID System के तहत काम करती है। जिसमें RFID Tags, Antenna, RFID Reader शामिल होते है। RFID टेक्नोलॉजी का उपयोग विभिन्न उद्योगों में संपत्तियों, उत्पादों और लोगों को ट्रैक और मॉनिटर करने के लिए किया जाता है। यह तकनीक पूरी तरह से रेडियो तरंगों पर आधारित है। उदाहरण –  शॉपिंग मॉल और टोल प्लाजा पर लगे फास्टैग में भी आर.एफ.आईडी (RFID) का उपयोग किया जाता है

उदाहरण के लिए पूरी मॉल में मौजूद सभी सामानों में पहले से ही एक RFID Tag लगा दिया जाता है और मॉल के Exit Gate पर RFID Receiver लगा होता है। ऐसे में यदि कोई भी इंसान वहां से छुपाकर कुछ सामान बाहर ले जाने की कोशिश करता है तो Exit गेट पर मौजूद RFID Receiver उसे Detect कर लेता गई और Alarm बजाकर सूचित करता है। परंतु वही सामान अगर यदि बीलिंग काउंटर पर दिखाकर उसका पैसा Pay करके बाहर जाने पर कोई समस्या नहीं होती है क्योंकि जिस समय हम बीलिंग काउंटर पर सामान चेक करने के लिए अपना सामान देते है तो उस वक्त ख़रीदे गए सामानों पर से टैग को हटा लिया जाता है और Record Maintain कर लिया जाता है।

RFID का इतिहास (History of RFID)

  • RFID तकनीक दूसरे विश्व युद्ध के समय की है। हालांकि इसका अलग-अलग कार्यों में उपयोग वर्तमान में किया जा रहा है।
  • वर्ष 1922 में रडार टेक्नोलॉजी का आविष्कार किया गया।
  • वर्ष 1930 के दशक में रडार से मिलती-जुलती तकनीक का उपयोग किया जा रहा था। जो दूसरे विश्व युद्ध में दुश्मन देश के विमान को पहचान सके। उस तकनीक का नाम IFF (Identification Of Friend And Foe) था।
  • वर्ष 1940 के दशक में स्वीडन देश के साइंटिस्ट ने आर.एफ.आईडी टेक्नोलॉजी को बनाया। जिनका नाम ‘Harry Stockman’ था। हालांकि बाद में वर्ष 1983 में ‘Charles Walton’ नामक अमेरिकी अविष्कारक ने RFID का Patent करवा लिया था।
  • वर्ष 1950 के दशक में इस टेक्नोलॉजी का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाने लगा।
  • वर्ष 1970 के दशक में RFID का इस्तेमाल वाहन को ट्रैक करने और टोल कलेक्शन, फैक्ट्री ऑटोमेशन जैसे कार्यों में किया जाने लगा।
  • वर्ष 1980 के आते-आते यह तकनीक पूरी तरह से हर काम में उपयोग लाई जाने लगी।
  • वर्ष 2000 के दशक में RFID को विकसित किया गया। जो अब भी जारी है। कई व्यवसायो के द्वारा इस तकनीक को अपनाया गया। जो उनके लिए आज फायदेमंद सिद्ध हुआ है।

RFID टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है?

RFID टेक्नोलॉजी तीन मुख्य घटकों से मिल कर बनी है: RFID टैग, RFID रीडर और बैकएंड सिस्टम। RFID टैग उस वस्तु से जुड़ा होता है जिसे पहचाना जाना है, और इसमें एक माइक्रोचिप और एक एंटीना होता है। RFID रीडर रेडियो तरंग उत्पादित करके RFID टैग के साथ संचार करता है, और बैकएंड सिस्टम RFID रीडर से प्राप्त की गई जानकारी को प्रोसेस करता है।

RFID टेक्नोलॉजी का मूल काम करने का सिद्धांत सरल है- जब एक RFID टैग RFID रीडर के दायरे में होता है, तो यह अपनी अद्वितीय (Unique) पहचान संख्या सहित एक संकेत भेजता है। फिर RFID रीडर इस जानकारी को बैकएंड सिस्टम को भेजता है, जो डेटा को प्रोसेस करता है और ट्रैक किए जाने वाले ऑब्जेक्ट के बारे में संबंधित जानकारी प्रदान करता है।


RFID का उपयोग कहाँ किया जाता है?

RFID तकनीक का उपयोग बहुत सारे जगहों पर अलग-अलग कामों के लिए किया जाता है जैसे-

  • टेलीफोन और कंप्यूटर नेटवर्क
  • स्मार्ट कार्ड में
  • टोल बूथ पास में
  • मेट्रो टोकन सिस्टम में
  • ऑटोमोबाइल एंटी थेफ़्ट प्रोटेक्शन सिस्टम में
  • आईडी कार्ड में ऑटो पासिंग के लिए
  • हृदय रोगियों की निगरानी
  • एनिमल ट्रैकिंग के लिए
  • शॉपिंग मॉल में
  • संपत्ति ट्रैकिंग के लिए
  • सिक्यूरिटी कण्ट्रोल रूम में
  • टैप-एंड-गो क्रेडिट कार्ड भुगतान

इसके अलावा और भी कई जगहों पर अलग-अलग कार्यों के लिए RFID Technology का उपयोग किया जा सकता है।

RFID टैग्स क्या है?

RFID टैग RFID System में यूज़ होने वाला एक कॉम्पोनेन्ट है जिसे किसी वस्तु की ट्रैकिंग करने के लिए Tag के रूप में लगाया जाता है RFID टैग एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता हैं जो डेटा ट्रांसमिट करने के लिए रेडियो तरंगों का उपयोग करते हैं। आरएफआईडी टैग के अन्दर उस वस्तु के बारे में सारी आइडेंटिटी सेव रहती है, जो आइटम की पहचान करने के काम में आता है, यह एक तरह का Identity Carrier होता है जो रिसीवर के कवरेज रेंज में आने पर अपनी आइडेंटिटी ट्रांसमिट करता है| RFID टैग में डाटा सेव रहने के लिए इसके अन्दर एक छोटी सी चिप लगी होती है इसलिए इसे RFID चिप भी कहा जाता है।

RFID टैग विभिन्न उद्योगों में उपयोग किए जाते हैं, जैसे खुदरा, स्वास्थ्य सेवा और रसायन वितरण, ताकि आपूर्ति श्रृंखला के कार्यों में कुशलता, सटीकता और सुरक्षा में सुधार किए जा सकें यह बारकोड की तरह होते हैं, RFID टेक्नोलॉजी ऑटोमेटिक पहचान और डेटा कैप्चर की अनुमति देती है, जो सूची प्रबंधन, त्रुटि कम करने और ग्राहक अनुभव को सुधारने में मदद कर सकता है।

RFID Tag कितने प्रकार के होते है?

इन टैग्स को इनकी फ्रीक्वेंसी रेंज के आधार पर उपयोग में लाया जाता है। RFID Tags दो प्रकार के होते हैं। जो इस प्रकार है।


  1. Active RFID Tag
  2. Passive RFID Tag

Active RFID Tag

Active RFID Tag एक तरह की RFID तकनीक है जो RFID रीडर को सक्रिय रूप से डेटा ट्रांसमिट करने के लिए बैटरी जैसी ऊर्जा स्रोत का उपयोग करती है। Active RFID में बैटरी पॉवर का प्रयोग किया जाता है। यह RFID अपने खुद के सिग्नल को लगातार ब्रॉडकास्ट करता है। ये RFID महंगे होते है लेकिन इनकी read करने की सीमा passive से बहुत अधिक होती है। एक्टिव RFID टैग पैसिव RFID टैग से अधिक दूरी तथा दूरस्थता पर डेटा को ट्रांसमिट कर सकते हैं, जो RFID रीडर से ऊर्जा लेते हुए डेटा को ट्रांसमिट करने पर निर्भर होते हैं।

Active RFID Tags आकार में एक स्मार्टफोन से थोड़े छोटे होते हैं और इन टैग्स के अंदर एक बैटरी लगी होती है। जो 4 से 5 साल तक चलती है। यह टैग्स UHF (अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी) पर किसी बड़े ऑब्जेक्ट को ट्रैक कर सकते हैं। इसकी फ्रीक्वेंसी 433MHz और 2.45GHz होती है। इन टैग्स की ऑब्जेक्ट को रीड करने की रेंज 150m तक होती है। इन्हें बड़े उद्योगों जैसे Large Assets, constructions, mining, Vehicle आदि में अत्यधिक उपयोग किया जाता है। Active RFID Tags की स्टोरेज क्षमता 512kb तक होती है। इसलिए इनकी कीमत अधिक होती है।

Passive RFID Tag

Passive RFID tag बैटरी पॉवर का प्रयोग नही करता है जबकि यह पॉवर के लिए RFID reader से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगो का प्रयोग करता है। यह भी Integrated Circuit और Antenna से बना होता है। रीडर से भेजी गई रेडियो तरंगे एंटीना तक पहुंचती है। जिससे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव उत्पन्न होती है। जिससे इसमें मौजूद सर्किट चालू हो जाता है। जिसमें से डाटा सिग्नल के जरिए RFID Reader तक पहुंचता है और Read कर लिया जाता है। ये RFID सस्ते होते है क्योंकि इनमें बैटरी का प्रयोग नही होता है।

passive RFID Tags आकार में पतले परंतु छोटे होते है। यह हर प्रकार की फ्रीक्वेंसी में ऑपरेट कर सकते है।

  • Low Frequency (LF) 125-134KHz
  • high Frequency (HF) 13.56MHz
  • Ultra High Frequency (UHF) 856MHz – 960MHz

इन टैग्स की किसी ऑब्जेक्ट को पढ़ने की दूरी 15 मीटर होती है। साथ ही इन टैग्स का उपयोग लगभग सब जगहों पर किया जाता है। इसलिए यह सस्ते होते हैं। इनकी Storage Capacity सिर्फ 1KB तक होती है। क्योंकि यह Tags सिर्फ एक बार Read करते हैं। इनमें दोबारा डाटा Write नहीं किया जा सकता। इनका उपयोग हेल्थ केयर, मैन्युफैक्चरिंग, रीटेल में सबसे ज्यादा किया जाता है।

RFID सिस्टम के प्रकार (Types of RFID systems)

RFID सिस्टम के तीन मुख्य प्रकार हैं: कम आवृत्ति (LF), उच्च आवृत्ति (HF) और अति-उच्च आवृत्ति (UHF)। माइक्रोवेव आरएफआईडी भी उपलब्ध है| देश और क्षेत्र के अनुसार आवृत्तियाँ बहुत भिन्न होती हैं।

Low-frequency (LF) RFID systems

इनकी फ्रीक्वेंसी बेहद कम होती है। जो सिर्फ 100cm की दूरी तक किसी ऑब्जेक्ट का डाटा Read कर सकते हैं। इनकी रेंज 30 KHz से 500 KHz तक होती है, हालाँकि सामान्य आवृत्ति 125 KHz है। एलएफ आरएफआईडी में ट्रांसमिशन रेंज कम होती है, जिसका उपयोग Access Control, Animal Identification, Healthcare संबंधित डेटा ट्रैकिंग में किया जाता है। क्यूँकि इनकी दूरी बेहद कम होती है।

High-frequency (HF) RFID system

High-frequency 3 मेगाहर्ट्ज से 30 मेगाहर्ट्ज तक होती है, जिसमें सामान्य आवृत्ति 13.56 मेगाहर्ट्ज होती है। इनकी फ्रीक्वेंसी LF से थोड़ी ज्यादा होती है। यह 10cm या 1m दूरी तक डाटा को रीड कर सकता है। HF Frequency Tag system का उपयोग ट्रैकिंग आइटम्स डाटा रीडिंग में किया जाता है।

Ultra high frequency (UHF) RFID systems

इस सिस्टम की फ्रीक्वेंसी HF के मुकाबले ज्यादा होती है। इसके Frequency band की रेंज 300MHz से 3GHz तक होती है। जिनकी सामान्य आवृत्ति 433 मेगाहर्ट्ज होती है और इन्हें आम तौर पर 25 से अधिक फीट दूर से पढ़ा जा सकता है। हालांकि इस रेंज को ज्यादा करने के लिए कई अलग तरीकों को खोजा गया है। जिसमें एंटीना का उपयोग कर इसकी रेंज को 12m से ज्यादा किया गया है यानी कि 12m से ज्यादा दूरी तक यह आब्जेक्ट को रीड कर सकता है।

इस पोस्ट से सम्बंधित प्रश्न और उत्तर

RFID का क्या अर्थ है?

यह एक वायरलेस तकनीक से संबंधित है। यह तकनीक रेडियो तरंगों की फ्रीक्वेंसी पर आधारित आइडेंटिफिकेशन का काम करता है। इस तकनीक का उपयोग स्वचालित रूप से वस्तु की पहचान या वस्तुओं को ट्रैक करने के लिए किया जाता है।

RFID का आविष्कार किसने किया?

चार्ल्स अल्फ्रेड डोड्सन वाल्टन (11 दिसंबर, 1921 – 6 नवंबर, 2011) को आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान) डिवाइस के पहले पेटेंट धारक के रूप में जाना जाता है।

RFID के तीन प्रकार क्या हैं?

आरएफआईडी टैग को डेटा संचार करने के लिए उपयोग की जाने वाली आवृत्तियों की सीमा के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है: कम आवृत्ति (LF), उच्च आवृत्ति (HF) और अल्ट्रा-उच्च आवृत्ति (UHF)।

RFID की सीमा क्या है?

सामान्य तौर पर, कम-आवृत्ति और उच्च-आवृत्ति टैग टैग तीन फीट (1 मीटर) के भीतर से पढ़े जाते हैं और UHF टैग 10 से 20 फीट की दूरी से पढ़े जाते हैं।


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