लिनक्स का इतिहास

लिनक्स का इतिहास (History of Linux)

Linux की लोकप्रियता को समझने के लिये हमे 30 वर्ष पहले जाना होगाा। जब कम्प्यूटर बड़े बड़े घरों में, स्टेडियमो में होता था तथा उस समय उसका आकार ही सबसे बड़ी समस्या होता था, तब यह सोचा गया कि प्रत्येक कम्प्यूटर में अलग अलग आॅपरेटिंग सिस्टम होना चाहिये। एक साॅफ्टवेयर किसी सिस्टम मे एक विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिये होता है तथा किसी सिस्टम के लिये बना साॅफ्टवेयर किसी दूसरे सिस्टम पर कार्य नही कर सकता है। इसका आशय यह है कि एक सिस्टम में सम्बन्धित कार्य को करने वाले साॅफ्टवेयर का दूसरे कार्य के साथ व्यवहार संभव नहीं होता है। यह कार्य यूजर तथा सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर दोनों के लिये ही कठिन होता है। उस समय कम्प्यूटर की कीमत बहुत अधिक होती थी तो यूजर को अपनी आवश्यकता को देखते हुये कम्प्यूटर को खरीदना चाहिये ,IT की कुल लागत असीमित होती थी सन् 1969 में Bell Labs लेब्रोटरी के वैज्ञानिकों ने साॅफ्टवेयर सम्बन्धित समस्या को हल करने के लिये कार्य करना शुरू कर दिया। उन्होंने एक नये आॅपरेटिंग सिस्टम का निर्माण किया जिसकी विषेषताएॅं थी

  • सिंपल व सुन्दर
  • असेम्बली कोड के स्थान पर प्रोग्रामिंग लैग्वेज में लिखना।
  • कोड को रिसाईकिल करने की क्षमता।

Bell Labs लेब्रोटरी के वैज्ञानिकों ने अपने प्रोजेक्ट का नाम “UNIX” रखा। कोड रिसाईकिलिंग का फीचर काॅफी महत्वपूर्ण था और यह तब तक महत्वपूर्ण था जब तक कम्प्यटूर सिस्टम एक कोड को लिखे ,जो कि सिर्फ एक सिस्टम के लिये विकसित किया गया हो। दूसरी तरफ यूनिक्स को स्पेशल कोड के छोटे-छोटे हिस्सों की आवश्यकता होती है, जिसको हम सामान्य तौर पर कर्नल के नाम से जानते है यह कर्नल इस कोड का सिर्फ एक हिस्सा होता है जो कि एक विशेष सिस्टम के लिये स्वीकारा जाता है तथा यूनिक्स सिस्टम का बेस होता है। आॅपरेटिंग सिस्टम तथा अन्य सारे फंक्शन इस कर्नल के चारों तरफ निर्मित किये जाते है। तथा यह Higher programming language में लिखे जाते है इस तरह की लैग्वेंज का निर्माण यूनिक्स सिस्टम के निर्माण के लिये किया जाता है। इस तकनीक का उपयोग करके आॅपरेटिंग सिस्टम का निर्माण काफी सरल हो गया है जिस पर हम विभिन्न प्रकार के हार्डवेयरों को रन कर सकते है।

यूनिक्स यूजरों के साथ ऐसा व्यवहार करती है कि वह विभिन्न सिस्टमों के साथ उसे आसानी से प्रयोग में ला सकें। इसी प्रकार यूनिक्स के विकास का क्रम चलता रहा। इसी क्रम में सारी चीजें सम्भव हो गयी। हार्डवेयर व साॅफ्टवेयर वेन्डर अपने प्रोडक्टों को सपोर्ट करने के लिये यूनिक्स की मदद लेने लगे।

पहले समय में यूनिक्स सिर्फ बड़े बड़े वातावरण जहाॅ मेनफे्रम तथा मिनी कम्प्यूटर लगे होते थे उनमें पाया जाता था ।अगर हम सरकारी या किसी फाइनेंशियल कारपोरेशन का कार्य किसी यूनिवर्सिटी में कर रहे है तो आप अपना कार्य यूनिक्स सिस्टम के माध्यम से कर सकते थे परन्तु छोटे कम्प्यूटर विकसित किये जाने लगे थे और 80 के दशक में अधिकतर लोगो के पास अपने होम कंप्यूटर थे ,उस समय पी सी आर्किटेक्चर के लिये यूनिक्स के काफी सारे वर्जन उपजब्ध थे लेकिन उनमें से कोई भी पूर्ण रूप से स्वतन्त्र नहीं था

Linux B. Torvalds ने 1991 में पहले लाइनेक्स कर्नल को लिखाा था। लाइनेक्स ने काफी प्रसिद्वि प्राप्त की क्योंकि सोर्स कोड शीघ्रता से प्राप्त हो जाता है यूजर्स अपनी आवश्याकतानुसार कर्नल को स्वतन्त्र रूप से परिवर्तित कर सकते है। फिर भी यह समझना महत्वपूर्ण है कि लाइनेक्स कर्नल कैसे शामिल किया जाता है और ये नये सिस्टम प्रोग्राम्स को लिखने से पहले कैसे कार्य करते है। लाइनेक्स कर्नल सोर्स कोड पर आधारित काॅनक्रीट आर्किटैक्चर एक विश्ववसनीय और up-to-date referrer Linux kernel hackers and developers को प्रदान कर सकते है। लाइनेक्स 1991 से कई बार प्रतिनिधियों के एक ग्रुप द्वारा दोहरायी जा चुकी है जो इंटरनेट पर Usenet Newsgroups के माध्यम से कम्यूनिकेट करते है।

Linux an Unix Compatible System अधिकतर काॅमन यूनिक्स टूल्स और प्रोग्राम्स लाइनेक्स के अंतर्गत रन होते है। लाईनेक्स वास्तविक रूप से इंटेल 80386 माइक्रोप्रोसेसर पर रन करने के लिये विकसित की गयी थी। आॅरिजनल वर्जन अन्य प्लेटफाॅर्मस के लिये पोर्टेबल नहीं थे क्योंकि ये इंटेल के स्पेसिफिक इंट्ररप्ट हैण्डलिंग रूटीन्स को उपयोग करते है। Linux user base बडा होता है 1994 में Ed Chi द्वारा बनायी गयी लाइनेक्स के कम से कम 40000 यूजर्स थे लाइनेक्स डाॅक्यूमेंटेशन प्रोजेक्ट लाइनेक्स कर्नल के लिये उपयोगी और विश्ववसनीय डाॅक्यूमेन्टेशन के विकास के लिये कार्य करता है। ये लाइनेक्स यूजर्स और लाइनेक्स डेवलपर्स दोनों के ही द्वारा उपयोग किये जाते है।

 



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