व्यापार के प्रत्येक व्यापारिक लेन देन से दो पक्ष प्रभावित होते हैं| एक पक्ष पाने वाला होता है तथा दूसरा पक्ष देने वाला होता है, अत: प्रत्येक लेन देन का दोनों पक्षों में लेखा किया जाता है| यह दोहरा लेखा प्रणाली कही जाती हैI इस प्रणाली में कोई भी व्यापारिक सौदा तब तक पूर्ण नहीं माना जाता है जब तक कि दोनों पक्षों में समान राशि से एक दूसरे के विपरीत लेखे न हो जाएँ|
Example:- राहुल द्वारा कपिल से रु. 1,000 प्राप्त किए जाते हैं। यह एक लेनदेन है। इस लेनदेन में राहुल द्वारा नकद प्राप्त किया गया है और कपिल ने यह नकद प्रदान किया है। इस तरह, यहाँ दो पक्ष है, राहुल द्वारा नकद प्राप्त करना और कपिल द्वारा भुगतान करना। कुछ निर्धारित नियमों के अनुसार इन पहलुओं में से एक डेबिट है और दूसरा क्रेडिट है ।