E-mail : A system

दोस्तों, आज के डिजिटल युग में ईमेल एक-दूसरे से कम्युनिकेशन करने का सबसे पॉपुलर और सबसे अच्छा रिसोर्स बन गया है | पर क्या आप जानते है की ईमेल क्या है यह कैसे कार्य करता है ? चलिए आज हम आपको ईमेल से सबंधित कुछ रोचक जानकारियां दे रहे है-

दोस्तों, वास्तव में ईमेल एक सिस्टम है, जो साधारणतः दो सबसिस्टमस से मिलकर बना होता है-यूजर एजेंट और मैसेज ट्रान्सफर एजेंट |यूजर एजेंट एक ऐसा प्रोग्राम होता है, जो यूजर को ईमेल भेजने और पढ़ने की सुविधा देता है, इसे मेल रीडर भी कहा जाता है यूजर एजेंट मैसेजेस को कम्पोज,रिसीव व रिप्लाई देने के लिए विभिन्न प्रकार के कमांड्स को यूजर से स्वीकार करता है |

मैसेज ट्रान्सफर एजेंट मेल को इन्टरनेट पर ट्रान्सफर करने का काम करता हैं | मैसेज ट्रान्सफर एजेंट ऐसे सिस्टम प्रोग्राम्स होते है, जो बैकग्राउंड में रन होते रहते है, और नेटवर्क में मेल को लाकर ट्रान्सफर करते है| मेल को भेजने के लिए सिस्टम का एक क्लाइंट मैसेज ट्रान्सफर एजेंट (Client Message Transfer Agent) और मेल रिसीव करने के लिए एक सर्वर मैसेज ट्रान्सफर एजेंट (Server Message Transfer Agent ) का होना आवश्यक है | सामान्यतः समस्त ईमेल सिस्टम निम्नलिखित पांच कार्यो का समर्थन करते है –

Functions of Email System

कम्पोजिशन(composition)

जब हम किसी मैसेज को क्रिएट या टाइप करते है, तो इस प्रोसिस को कम्पोजिशन कहा जाता है | यद्यपि मैसेज को टाइप करने के लिए किसी भी टेक्स्ट एडिटर का प्रयोग किया जा सकता है, परन्तु ईमेल,सिस्टम ,मैसेज हेतु एड्रेस को स्पेसिफाय करने और मैसेज में हैडर फ़ील्ड्स को अटैच करने में यूजर की सहायता करता है |

उदहारण- जब एक यूजर किसी दूसरे यूजर द्वारा भेजे गए मैसेज का उत्तर देता है तो उस समय, ईमेल सिस्टम ऑटोमैटिक ही मैसेज में उचित स्थान पर उस व्यक्ति का ईमेल एड्रेस प्रयोग कर सकता है, जिसने मेल भेजा हो | इसके लिए ईमेल सिस्टम भेजे गए मेल से उस व्यक्ति अथवा ऑर्गनाइजेशन का एड्रेस ओटोमेटिकली निकाल लेता है , जिसने मेल भेजा था |

ट्रांसफर(Transfer)

इसका आशय मैसेज को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने से है, इसमे सेन्डर(sender) किसी उद्देश्य से कोई मैसज रिसीवर को भेजता है | इसके लिए सेंडर और रिसीवर के बीच किसी मध्यस्थ अर्थात कनेक्शन की आवश्यकता होती है |

साधारण अर्थो में कह सकते है की ईमेल सर्विस का यूज़ करने के लिए पहले आपको ईमेल सर्विस प्रोवाइडर से कनेक्शन लेना होता है और मैसेजेज को भेजने के लिए कनेक्शन को रिलीज करने की आवशयकता होती है | यह कार्य ईमेल सिस्टम द्वारा स्वतः ही हो जाता है इसके लिए यूजर को कुछ करने की जरुरत नहीं होती है |


रिपोर्टिंग (Reporting)

रिपोर्टिंग का अर्थ है- ईमेल सेंडर को जानकारी प्रदान करना की जो मैसेज भेजा गया है वह डिलीवर हुआ है या रिजेक्ट हो गया है या रास्ते में ही नष्ट हो गया है |

डिस्प्लेयिंग (Displaying)

Displaying का अर्थ है रिसीवर द्वारा रिसीव किये हुए मैसेजेस को मॉनीटर स्क्रीन पर डिस्प्ले करना | रिसीवर मैसेज को आसानी से मॉनीटर स्क्रीन पर देख व पड़ सकता है | ईमेल सिस्टम रिसीवर के द्वारा प्राप्त किये गए मैसेज को यूजर के पढ़ने योग्य फॉर्मेट में बदलता है | इसी के साथ यदि उस मैसेज में साउण्ड है तो उसे भी आप आसानी से सुन सकते है इसके लिए ईमेल सिस्टम अपने स्वयं ही इससे रिलेटिड एप्लीकेशन को कॉल (invoke )करता है |

डिस्पोजिशन (Disposition)

Disposition से आशय यूजर द्वारा मैसेज रिसीव करने के बाद की जाने वाली प्रोसेस से है | रिसीवर मैसेज को पढ़ने से पहले या पढने के बाद हटा सकता है, या फिर उस मैसेज को सेव करके भी रख सकता है | ईमेल आपको महत्वपूर्ण कार्य करने के साथ-साथ मैसेज को पुनः पढ़ने, पुनः प्राप्त करने व फ़ॉरवर्ड करने की भी सुविधा देता है|

इन सभी कार्यो के अतिरिक्त अधिकांश ईमेल सिस्टम, प्राप्त होने वाले ईमेल को स्टोर करने के लिए मेलबॉक्स क्रिएट करने की भी सुविधा देते है |ईमेल सिस्टम मेलबॉक्स क्रिएट और डिलीट करने के साथ –साथ मेलबॉक्स में मैसेज को इन्सर्ट करने,डिलीट करने और मैसेज के कन्टेन्ट की निगरानी के लिए भी कई प्रकार के कमाण्ड्स उपलब्ध कराता है |

ईमेल सिस्टम यूजर को एक ही मैसेज को एक ही समय पर एक से ज्यादा लोगो को या किसी मेलिंग लिस्ट में स्थित समस्त ईमेल एड्रेसिस पर एक साथ भेजने की सुविधा भी देता है |

Bouncing of E-mail

(ईमेल बाउंसिंग )

जब एक सेन्डर द्वारा ईमेल भेजा जाता है,तब वह मेल रिसीवर के पास न जा कर बीच में कही मेल का गायब हो जाता है तो इसे ही , ईमेल बाउंसिंग कहते है ,ईमेल के बाउंस होने के निम्नलिखित कारण हो सकते है :


  • ईमेल करते समय सेन्डर के टेलीफोन लाइन या कंप्यूटर हाडवेयर में कोई खराबी होना |
  • सेन्डर के ईमेल प्रोग्राम में कोई डिफेक्ट होना |
  • ईमेल का मेल सर्वर में स्टोर न होना |
  • ईमेल का सही फॉर्मेट में सेन्ड या रिसीव न होना|
  • MINE द्वारा मेल को कन्वर्ट करने में कोई प्रॉब्लम होना |
  • POP -3 अथवा SMTP प्रोटोकॉल से ईमेल को रिसीव करने और डिलीवर करने में कोई प्रॉब्लम होना |

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