EDP Organization

EDP Organization

EDP संगठन, श्रेणीबद्ध संगठन पर आधारित हैं जैसा कि निम्‍नांकित चित्र में दिखाया गया हैं। इस संगठन में कई तरह के पेशेवर (Professionals) तथा काम करने वाले मध्‍यस्‍तरीय लोग हैं।वस्‍तुत: किसी EDP में एक प्रबंधक होता हैं जो उस संगठन के अच्छे-बुरे का जिम्‍मेदार होता हैं। इसके अधीन मुख्‍य रूप से सिस्‍टम विश्‍लेषण तथा प्रोग्रामर पेशेवर रूप में होते हैं। इसके अतिरिक्‍त लिपिकीय कार्यो के लिये कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर, डाटा एन्‍ट्रीऑपरेटर भी होते हैं।

आइए हम जानते है एक EDP Organization किन लोगो से मिलकर बनता है और उनके क्या कार्य होते है |

  1. EDP Manager
  2. System Analyst
  3. Programmer
  4. Computer Operator
  5. Librarian

ईडीपी मेनेजर

( EDP Manager )

EDP Manager यह EDP विभाग का प्रमुख होता हैं, जिसका कार्य संपूर्ण विभाग का प्रबंधन करना, कार्य का विभाजन करना एवं कार्य को नियंत्रित करना हैं। EDP मैनेजर के निम्‍न कार्य होते हैं।

  1. EDP विभाग की आवश्‍यकताओं का ध्‍यान रखना, यदि नई प्रणाली बनाना है तो उपलब्‍धता निश्चित करना।
  2. नई प्रणाली के निर्माता की आवश्‍यकताओं को ध्‍यान रखना, यदि नई प्रणाली बनाना आवश्‍यक हैं, उसे स्वीकृति देना।
  3. नई प्रणाली के लिए आवश्‍यक आर्थिक स्वीकृतियां प्राप्‍त करना।
  4. आवश्‍यकताओं के अनुसार सर्वर को बढ़ाना।
  5. EDP विभाग के कर्मचारियों का प्रबंधन करना, उनके कार्यो की समीक्षा करना।
  6. दूसरे विभागों के कम्‍प्‍यूटर नेटवर्क का प्रबंधन करना, एवं निश्चित करना की सभी विभाग में डाटा सुचारू रूप से प्राप्‍त हो रहा हैं।
  7. अन्‍य विभागों की आवश्‍यकतों की समीक्षा करना, उसके अनुसार प्रणाली में बदलाव करना।
  8. अन्‍य विभागों की आवश्‍यकतों की समीक्षा करना, उसके अनुसार प्रणाली के बदलाव करना।

सिस्‍टम एनालिस्‍ट

(System Analyst)

सिस्‍टम एनालिस्‍ट कम्‍प्‍यूटर तंत्रों का मूल्‍यांकन करता हैं, उसका डिजाइन बनाता हैं, उसकी जॉच करता हैं। वह प्रोसेस्‍ड डाटा,प्रोग्रामर और यूजर के साथ समन्‍वय बनाये रखता हैं। उन्‍हें सिस्‍टम और प्रोग्राम को एक्‍सेस करने की जरूरत होती हैं, परन्‍तु उन्‍हें डाटा में परिवर्तन करने हेतु अधिकार सामान्‍यत: प्राप्‍त नहीं होते हैं।

साधारण शब्दों में हम कह सकते है कि System Analyst वह व्‍यक्ति होता हैं, जो समस्‍या का अध्‍ययन करता हैं, उसके समाधान की योजना बनाता है, तथा उसके अनुसार प्रोग्राम एवं प्रणाली की सिफारिश करता हैं। सिस्‍टम विश्‍लेषक के लिए समस्‍या, संस्‍था, कम्‍प्‍यूटर प्रोग्राम आदि की अच्‍छी जानकारी होना आवश्‍यक हैं। यद्यपि System Analyst यह सॉफ्टवेयर का निर्माण स्‍वयं नही करता हैं, लेकिन उसमें उसकी सक्रिय भूमिका होती हैं। वह प्रयोगकर्ता की आवश्‍यकताओं को तकनीकी भाषा में प्रोग्रामर के सामने प्रस्‍तुत करता हैं, तथा प्रोग्रामर के बनाये प्रोग्राम कार्य के अनुसार हैं, या नही वह तय करता हैं। प्रणाली वास्‍तविक रूप में लागू करने से पहले, जांच के कार्य के अनुसार हैं, या नही वह तय करता हैं। प्रणाली वास्‍तविक रूप में लागू करने से पहले, जांच के कार्य को भी पूर्ण करता हैं। System Analyst यह नई प्रणाली के लागत-लाभ का विश्‍लेषण, डिजाइन के तर्क, कर्मचारियों की सहभागीता एवं समय सीमा निश्चित करता हैं।

सिस्‍टम विश्‍लेषक निम्‍नलिखित कार्य करते हैं-

  1. वास्‍तविक तथा अनुमानित स्थितियाँ जिसमें सुधारक कार्य आवश्‍यक हों।
  2. कुछ अवसरों पर जब बगैर किसी शिकायत के भी स्थिति में सुधार लाया जा सकें।
  3. स्थिति को बदलने के लिए विनिर्देशन की स्थिति में चाहें किसी ने वर्तमान सिस्‍टम के बारे में कोई शिकायत की हो अथवा न की हो।
  4. अधिकतर सिस्‍टम विश्‍लेषक सिस्‍टम समस्‍या समाधान तरीके से कुछ विभिन्‍नताओं को प्रयोग में लाते हैं, जैसे सिस्‍टम जीवन चक्र कहा जाता हैं।

 


प्रोग्रामर

(Programmer)

प्रोग्रामर फ्लोचार्ट, प्रोग्राम व डॉक्‍यूमेंट बनाते हैं। यहाँ पर फ्लोचार्ट यह दर्शाते हैं कि सिस्‍टम किस तरह ट्रांजैक्‍शन्‍स को प्रोसेस करता हैं। प्रोग्राम को सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर लि‍खते हैं जो प्रत्‍येक ग्राहक के लिए प्रोसेस और सेल्‍स को एनालाइज करता हैं।

साधारण शब्दों में हम कह सकते है कि प्रणाली विश्‍लेषक द्वारा इकठ्ठा कि गई जानकारी को विश्‍लेषण करने, एवं वांछित समाधान देने के बाद उसे कम्‍प्‍यूटर पर आधारित प्रणाली बनाने के लिए प्रोग्रामर को नियंत्रण दिया जाता हैं। प्रोग्रामर यह विभिन्‍न जानकारीयों की पड़ताल कर, उसे कम्‍प्‍यूटर में डाले जाने योग्‍य फारमेट में बदलता हैं। आवश्‍यकताओं के अनुसार प्रोग्राम बनाता हैं, उसे जांचता हैं, तथा उन्‍हे क्रियान्वित करता हैं। कम्‍प्‍यूटरीकृत प्रणाली के निर्माण में प्रोग्रामर कि भूमिका बहुत अह्म होती हैं। प्रणाली निर्माण में कम्‍प्‍यूटर प्रोग्रामर की निम्‍न भूमिका होती हैं।

  1. प्रोग्रामर का मुख्‍य लक्ष्‍य यह हैं कि विश्‍लेषण के अनुसार बतायें गये कार्य को कम्‍प्‍यूटर के सहायता से संचालित करने योग्‍य निर्देश कम्‍प्‍यूटर को देना हैं।
  2. जो प्रोग्राम बनाये गये हैं, वह प्रयोगकर्ता की आवश्‍यकता के अनुसार हैं, या नही उसकी जांच करना ह,इसके लिए प्रयोगकर्ता से निंरतर संपर्क में रह कर, उनके सुझाव, आवश्‍यकताओं की समीक्षा करना हैं। जहाँ तक संभव हो, प्रयोगकर्ता के सुझावों को प्रोग्राम में जोड़ना।
  3. प्रोग्राम तकनीक रूप से सक्षम हैं, या नही आदि की जांच करना।
  4. प्रोग्राम में डाले जाने वाले डाटा को सुरक्षित रखने के लिए आवश्‍यक उपाय करना।
  5. प्रोग्राम के डाटा का विश्‍लेषण कर, उपयोगकर्ता को वांछित उत्‍तर दर्शाना या प्रिन्‍ट करने योग्‍य फारमेट में बनाना।
  6. प्रोग्राम को पूर्ण, कर उसे प्रयोगकर्ता को समझाना या प्रयोगकर्ताओं को प्रशिक्षित करना।
  7. प्रोग्राम की गलतीयों को खोज कर सुधारना।
  8. प्रयोगकर्ताओं से प्रोग्राम के बारे में feedback प्राप्‍त कर, प्रोग्राम मे वांछित बदलाव करना।
  9. प्रोग्राम का दस्‍तावेजीकरण (Documentation) करना, सभी प्रकार के प्रोग्राम एवं डाटा का बैकअप लेकर उसे सुरक्षित रखना।
  10. Operator या प्रयोगकर्ता को तकनीकी सलाह देना।

 

कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर

(Computer Operator)

कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर प्रोग्राम का उपयोग कर डाटा को कम्‍प्‍यूटर सिस्‍टम मे प्रोसेस करता हैं। कम्‍प्‍यूटर फर्म के डॉक्‍यूमेंट बनाने से लेकर उनके रखरखाव व साज-सज्‍जा के लिये भी जिम्‍मेदार होता हैं। कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर भी अति महत्‍वपूर्ण होता हैं क्‍योकिं ऑपरेटर की पहुँच संभवत: संवेदनशील डाटा तक होती हैं।

डाटा एन्‍ट्री ऑपरेटर

(Data Entry Operator)

डाटा एन्‍ट्री ऑपरेटर डाटा को उस रूप में बदलते हैं जिसे मशीन पढ़ सकें। डाटा एन्‍ट्री ऑपरेटर कम्‍प्‍यूटर पर डाटा इनपुट करता हैं तथा कम्‍प्‍यूटर स्‍वत: ही उन्‍हें अपडेट करता हैं।

लाइब्रेरियन

(Librarian)

लाइब्रेरियन को डाटा की इलेक्‍ट्रॉनिक कॉपीज, सिस्‍टम डॉक्‍यूमेन्‍टेशन तथा प्रोग्राम को एक्‍सेस करने की आवश्‍यकता होती हैं। ये पारम्‍परिक लाइब्ररियन्‍स जैसे ही होते हैं, जो न तो पुस्‍तक पढ़ते हैं, न लिखते हैं औन न संपादित ही करते हैं, किन्‍तु ये किताबों की देखभाल और व्‍यवस्‍था करते हैं। इसी प्रकार, एक EDP संगठन में लाइब्ररियन टेप, डिस्‍क, बाहरी हार्डड्राइव (Hard Drive) आदि की तरह इलेक्‍ट्रॉनिक रिकार्ड रखते हैं। उनसे किसी भी क्षण कुछ स्‍पैसिफिकेशन्‍स पर आधारित इन्‍फॉर्मेशन प्रस्‍तुत करने को कहा जा सकता हैं। लाइब्रेरियन की पहुँच कम्‍प्‍यूटर तक आमतौर पर नहीं होती हैं।


 

 


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