ई-कॉमर्स के प्रभाव

कॉमर्स के प्रभाव (Effects of E-Commerce):- किसी भी प्रोडक्ट की इन्फोर्मेशन उसकी कीमत तथा उपलब्धता पर निर्भर करती है | मार्केट में विभिन्न क्रेतायों (sellers) के द्धारा ऑफर किये गए प्रोडक्ट्स तथा कीमत के बारे में इन्फोर्मेशन को प्राप्त करना खरीददारों की आदत है | ये कीमते खरीददारों को अपनी ओर आकर्षित करती है | कोई भी प्रोडक्ट कम्पनी से निकलने के पश्चात् कई स्टेप से गुजरने के पश्चात् खरीददार तक पहुँचता है | इस तरह इस प्रोडक्ट की कीमत इसकी वास्तविक कीमत से ज्यादा हो जाती है | इसलिए भिन्न-भिन्न कम्पनियों के द्धारा एक जैसे प्रोडक्ट की कीमत भी भिन्न-भिन्न होती है | किसी भी प्रोडक्ट को बेचने तथा खरीदने की परम्परिक प्रक्रिया को निम्नलिखित में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया गया है –

उपरोक्त Figure कंपनी द्धारा बनाये गए प्रोडक्ट को उपभोक्ता तक पहुचने के तीन प्रारूपो दर्शाया गया है | प्रथम प्रारूप के अनुसार Manufactures प्रोडक्ट को Wholesaler के पास भेजता है | Wholesaler के पश्चात् प्रोडक्ट Retailer के पास पहुचता है | इसके पश्चात् Consumer के पास पहुचता है | द्धितीय प्रारूप के अनुसार Retailer सीधे Manufactures से प्रोडक्ट को लेता है | Retailer इस प्रोडक्ट को सीधे Consumer को देता है | तीसरे प्रारूप के अनुसार Consumer प्रोडक्ट को सीधे Manufactures से खरीदता है | इस तरह किसी भी कंपनी का कोई प्रोडक्ट Manufactures से उपभोक्ता तक पहुचने पर प्रत्येक step पर इसकी Price बढती जाती है इससे प्रोडक्ट महंगा हो जाता है | किसी भी प्रोडक्ट को बेचने का यह तरीका पारम्परिक तरीका है | अब यदि यह प्रोडक्ट Manufacturer से सीधे उपभोक्ता के पास घर बेठे ही किसी भी समय पहुच जाये अर्थात उपभोक्ता घर पर बैठकर ही अपनी Choice के प्रोडक्ट को देखकर ख़रीद ले तो इससे यह प्रोडक्ट उपभोक्ता को सस्ता पढ़ेगा और कंपनी को भी फायदा होगा यह व्यवस्था इलेक्ट्रोनिक मार्केट के माध्यम से ही संभव है |


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