BIOS के कार्य

BIOS क्या हैं?

  • BIOS सॉफ्टवेयर का प्रयोग पहली बार आईबीएम (IBM) के द्वारा वर्ष 1981 में किया गया था। वर्ष 1981 में IBM ने इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग पर्सनल कंप्यूटर में किया था। कुछ ही समय में यह काफी लोकप्रिय हो गया जिसके बाद इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल सभी प्रकार के कम्प्यूटरो में किया जाने लगा।
  • BIOS का पूरा नाम Basic Input/Output System होता है|
  • कंप्यूटर को start करने पर सबसे पहले हमें जो स्क्रीन दिखायी देती है उसे ही BIOS कहते हैं|
  • BIOS मदरबोर्ड के साथ जुड़ा हुआ एक सॉफ्टवेयर होता है और जब भी कंप्यूटर चालू होता है तो यह अपने आप ही run होने लगता है|
  • BIOS एक ऐसा प्रोग्राम है जो कंप्यूटर को बूट (boot) करने के लिए ज़िम्मेदार होता है। यह हार्डवेयर के सभी कनेक्शन का पता लगाता है और उनकी जांच करता है कि सभी कनेक्शन सही तरीके से काम कर रहे है या नहीं।
  • CPU ऑपरेटिंग सिस्टम लोड होने से पहले ही BIOS को एक्सेस कर लेता है जिसकी वजह से BIOS कंप्यूटर के शुरू होने पर ही स्टार्ट हो जाता है।
  • BIOS कंप्यूटर की ROM मेमोरी में मौजूद होता है, यह कंप्यूटर के चालू होने पर हार्डवेयर की पहचान कर उन्हें configure (कॉन्फ़िगर) करता है|
  • BIOS का सबसे मुख्य काम कंप्यूटर की settings की सही से जाँच करना होता है, जिसकी मदद से BIOS यह पता लगा पाता हैं कि कंप्यूटर सही से काम कर रहा है या नही|
  • BIOS का मुख्य कार्य हार्डवेयर को सेट करना और ऑपरेटिंग सिस्टम को शुरू करना होता है। यह इनपुट और आउटपुट डिवाइसों को नियंत्रित (control) भी करता है। इसका इस्तेमाल हार्डवेयर को मैनेज करने के लिए किया जाता है।
  • यह सॉफ्टवेयर कंप्यूटर सिस्टम में Data Flow (डेटा प्रवाह) को नियंत्रित भी करता है। BIOS को “BYE-oss” के नाम से भी जाना जाता है। इस सॉफ्टवेयर को अनेक नामो से जाना जाता है जैसे :- ROM BIOS, PC BIOS और सिस्टम BIOS आदि|
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Functions of BIOS (BIOS के कार्य)

BIOS setting को चेक करना

BIOS सबसे पहले CMOS में BIOS setting की जाँच करता हैं| कंप्यूटर के स्टार्ट होने के बाद यह CMOS से सभी settings को Read करता है ताकि सारी चीज़े ठीक से काम कर सकें।

कंप्यूटर drivers load करना

उसके बाद BIOS Computer drivers load करता हैं| जो Operating System और connected devices के बीच एक Base या interface का काम करते हैं।

Computer registers को initialize करना

उसके बाद BIOS हमारे CPU के सारे Registers को ठीक तरह से initialize यानी उपयोग होने के लिए तैयार करता है।

Power-On-Self-Test (POST) करना

उसके बाद BIOS के द्वारा सारे Hardware और devices जैसे Keyboard, Mouse आदि को टेस्ट करता है इस प्रोसेस को POST या Power On Self Test कहते हैं।

BIOS setup करना

POST की प्रक्रिया के समय हम एक स्पेशल key दबाते हैं जिससे हमारे सामने एक setting open जाती है जिसे हम BIOS setting कहते हैं इसी setting को BIOS सबसे पहले load करता है।

Boot device चेक और load करना

उसके बाद BIOS एक BOOTABLE माध्यम ढूंढता है और उसके बाद bootable माध्यम को रीड करके जरूरी फाइल्स को RAM मे load करता है और इसके बाद ही हमारा कंप्यूटर on होता हैं और हमे डेस्कटॉप दिखाई देता हैं|

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