इन्टरनेट का इतिहास
इन्टरनेट एक बहुत तीव्र गति से बढ़ता हुआ नेटवर्क है इसकी शुरुआत 1960 के दशक में अमेरिका के रक्षा विभाग में अन्वेषण के कार्यो के लिए हुई थी। प्रारम्भ में इसे ARPANET नाम दिया गया। 1971 में कंम्प्यूटर के तीव्र विकास और अधिकता के कारण ARPANET या इंटरनेट लगभग 10,000 कम्प्यूटरस् का नेटवर्क बना। आगे चलकर 1987 से 1989 तक इसमें लगभग 1,00,000 कंम्प्यूटरस् शामिल हुए।
1990में ARPANET के स्थान पर इन्टरनेट का विकास जारी रहा, जो 1992 में 10 लाख कंम्प्यूटरस्, 1993 में 20 लाख कम्प्यूटरस् और बाद में क्रमश: बढ़ता रहा। इन्टरनेट वास्तव में पब्लिक के लिए कम्युनिकेशन व इन्फारमेशन एक्सेस करने का सबसे तीव्र व सस्ता माध्यम है।
इन्टरनेट के विकास में बहुत लोगों का योगदान रहा है। इसके प्रारंभिक विकास की अवस्था 1950 के दशक की कहीं जा सकती है। US गवरमेंट ने USSR (सोवियत संघ) सें Space Supremacy पुन: प्राप्त करने के लिए (जो कि USSR के 1957 में स्पूतनिक के लांच करने से US के हाथ में चली गई थी), ARPA (एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेन्सी) बनायी जिसमें J.C.R. Licklider कम्प्यूटर विभाग के प्रमुख थे।
ARPANET का इतिहास
ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) नेटवर्क 1969 में विकसित किया था। इसकी स्थापना डिपार्टमेंट ऑफ डिफेन्स ने की थी। यह नेटवर्क मुख्य रूप से प्रायोगिक था। यह नेटवर्क टेक्नोलॉजी के विकास व टेस्ट के लिए तथा अन्वेषण ( Exploration) के लिए बनाया गया था।
प्रारंभिक नेटवर्क सम्पूर्ण अमेरिका की चार मुख्य यूनिवर्सिटी के चार होस्ट कम्प्यूटर को आपस में जोड़कर बनाया गया था जिसके द्वारा यूजर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे। 1972 तब ARPANET से लगभग 32 होस्ट कम्प्यूटर जुड़ चुके थे व इसी वर्ष ARPA का नाम DARPA (Defence Advanced Research Projects Agency) में परिवर्तित हुआ। 1973 में ARPANET ने अमेरिका की सीमाओं को पार करते हुए प्रथम अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन्स् इंग्लैंण्ड व नार्वे से किये।
ARPANET का एक मुख्य उद्देश्य था कि नेटवर्क का कोई भाग यदि कार्य करना बंद कर दे तब भी नेटवर्क चालू रहे। इस क्षेत्र में जो प्रगति हुई वह नेटवर्किंग रूल्स और प्रोटोकाल्स जिसे TCP/IP (Transmission Control Protocol/Internet Protocol) के नाम से संम्बोधित किया गया।
TCP/IP, प्रोटोकॉल्स का एक समूह होता है जो यह निर्धारित करता है कि नेटवर्क में डेटा किस तरह से ट्रांसफर होगा। साथ ही यह अलग-अलग तरह की ऑपरेटिंग सिस्टमस् (जैसे DOS व UNIX) नेटवर्क के द्वारा डेटा शेयर करने की सुविधा देता है।
ARPANET एक “बेकबोन” नेटवर्क के रूप में कार्य करता है, यह छोटे-छोटे से लोकल नेटवर्क को आपस में कनेक्ट करता है तथा जब एक बार में छोटे-छोटे नेटवर्क बेकबोन से जुड़ जाते हैं तब वे आपस में भी डाटा का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
1983 में DARPA नें यह तय किया कि ARPANET से जुड़ने वाले कम्प्यूटस् के लिए TCP/IP एक स्टेंडर्ड प्रोटोकॉल सेट होगा। इससे तात्पर्य यह है कि कोई भी छोटा नेटवर्क (उदाहरण के लिए कोई भी यूनिवर्सिटी नेटवर्क) यदि ARPANET से जुड़ना चाहता है तो उसे TCP/IP का उपयोग अनिवार्य था व मुफ्त में उपलब्ध था और लगभग सभी नेटवर्क इसका उपयोग करते थे। TCP/IP प्रोटोकॉल्स के विस्तार के कारण आज के इन्टरनेट का स्वरूप सामने आया जिसे हम “Network of Networks” कहते हैं। इसमें या तो TCP/IP का उपयोग होता है या फिर वह TCP/IP नेटवर्क से इंटरेक्ट कर सकता है।
1970 के दशक का विकास
1970 के दशक में मुख्य नेटवर्किंग टूल्स विकसित किये गये, वे इस प्रकार है सन् 1972 में NCSA (National Center for Supercomputing Applications) ने रिमोट लॉगिन (जिससे किसी दूर के कम्प्यूटर को आसानी से जोड़ा जा सके) के लिए Telnet एप्लिकेशन बनाया।
सन् 1973 में नेटवर्क कम्प्यूटरस् के बीच में फाइल्स् के ट्रांसफर के लिए एक स्टेंडर्ड FTP (File Transfer Protocol) बनाया।
1980 के दशक के विकास
सन् 1983 में कुछ मुख्य घटनाऍ इस प्रकार हैं- TCP/IP प्रोटोकोल सूट ARPANET के लिए स्टेंडर्ड प्रोटोकॉल सूट बना व इन्टरनेट का प्रादुर्भाव हुआ। ARPANET दो भागों में विभाजित हुआ MILNET (मिलेट्री साईट के लिए) व ARPANET (नॉन मिलेट्री साईट के लिए) ।
1989 में (National Science Foundation) ने देश के छ: सुपर कंप्यूटिंग सेंटर को आपस में जोड़ा जिसे NSFNET या NSFNET बेकबोन नाम दिया गया।
1989 में NSFNET बेकबोन नेटवर्क को “T1” में परिवर्तित किया गया जिसमें मतलब था कि सेकंण्ड 1.5 में मिलियन बिट्स डेटा या 50 टैक्स्ट पेज को ट्रांसलेट करने की क्षमता।
1990 के दशक के विकास
सन् 1990 में ARPANET को भंग कर दिया गया। सन् 1991 में मिनेसोटा यूनिवर्सिटी में गोफर को विकसित किया गया। गोफर, इन्टरनेट पर सूचनाएं देने व ढॅूढने की एक हायरआर्किकल मेन्यू पर आधारित विधि थी। इस टूल ने इन्टरनेट को अधिक आसान बनाया।
सन् 1993 में CERN (यूरोपियन सेन्टर फॉर न्यूक्लियर रिसर्च) स्विजरलेण्ड (जिनेवा) के वैज्ञानिक टिम-बरनर-ली ने WWW(वर्ल्ड वाइड वेब) को विकसित किया। WWW.इन्टरनेट पर सूचनाओं को व्यवस्थित करने, प्रदर्शित करने व एक्सेस करने के लिए (हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल) व हाइपरलिंक का उपयोग करता है।
सन् 1993 में NSFNET बेकबोन पुन: “T3” में परिवर्तित हुआ जिससे तात्पर्य एक सेकण्ड में या तो 45 मिलियन बिट्स डेटा या फिर 1400 टैक्स्ट पेज को ट्रांसमिट करने की क्षमता है।
सन् 1993-94 में Mosaic और Netscape Navigator जैसे ग्राफिकल वेब ब्राउजर मार्केट में आये और इन्टरनेट कम्युनिटी में चलन बढ़ा । इन ब्राउज़र्स की ग्राफिक क्षमता के कारण WWW व इन्टरनेट आम आदमी तक और आसानी से पहुंच सका।
सन् 1995 में NSFNET बेकबोन को नेटवर्क आर्किटेक्चर के द्वारा परिवर्तित कर दिया गया। इस आर्किटेक्चर का नाम vBNS(very high-speed Backbone Network Service) जो कि NSPs (Network service providers), रीजनल नेटवर्कस् व NAPs(Network Access Point) का उपयोग करता है।
इन्टरनेट विकास यात्रा
1962 से 1969
यही वह काल था जिसमे की इंटरनेट की परिकल्पना की गई तथा इंटरनेट कागजी परिकल्पना से निकलकर एक छोटे से नेटवर्क के रूप में सामने आया|
1962
पॉल बैरन, रैंड कॉरपोरेशन ने पैकेट स्विच तकनीक पर आधारित कंप्यूटर नेटवर्क की परिकल्पना की|
1967
एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी (ARPA) ने जो कि एक सैन्य संगठन था ने अरपानेट बनाने के संबंध में विचार विमर्श आरंभ किया|
1969
ARPANET का निर्माण किया गया जिसके अंतर्गत अमेरिका के 4 संस्थानों स्टैनफोर्ड रिसर्च संस्थान, यूसीएलए, UC, SANTA, BARBARA तथा UTAH विश्वविद्यालयों में स्थित एक एक कंप्यूटर को जोड़कर 4 कंप्यूटरों का नेटवर्क बनाया गया|
1970 से 1973
ARPANET परीयोजना को आरंभ से ही सफलता मिलती गई| वैसे तो इसके निर्माण का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिकों के मध्य डाटा आदान प्रदान व रिमोट कंप्यूटिंग था लेकिन ईमेल सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला माध्यम बन गया|
1971
ARPANET से अब 23 कंप्यूटर जुड़ गए थे ये कंप्यूटर अमेरिका के विश्वविद्यालयों व रिसर्च संस्थानों में स्थापित थे|
1972
इंटरनेट वर्किंग ग्रुप (INWG) बढ़ते नेटवर्क के लिए मानक बनाने के लिए बनाया गया इसका प्रथम अध्यक्ष विंटन सर्फ (Vinton Cerf) को बनाया गया जिन्हें कि आगे जाकर इंटरनेट का पितामह कहा गया|
1973
अमेरिका से बाहर लंदन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज तथा नार्वे स्थित रॉयल रडार संस्थान के कंप्यूटर ARPANET से जोड़े गए|
1974 से 1981
ARPANET सैन्य रिसर्च से बाहर आया तथा सामान्य लोगों को इसी अवधि में यह पता लगा कि कंप्यूटर नेटवर्क का आम जीवन में किस प्रकार का उपयोग संभव है|
1974
TELNET का विकास हुआ तथा अरपानेट का वाणिज्यिक उपयोग संभव हुआ
1975
स्टोर एवं फॉरवर्ड प्रकार के नेटवर्क बनाए गए ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने पहली बार ईमेल भेजा
1976
यू यू सी पी (Unix to Unix Copy) AT&T Bell Laboratory द्वारा विकसित किया गया जिसे कि बाद में यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ बेचा गया
1977
UUCP का उपयोग करते हुए THEORYNET बनाया गया जिसके द्वारा 100 से अधिक रिसर्च कार्य में लगी वैज्ञानिकों को ईमेल की सुविधा उपलब्ध कराई गई|
1979
DUKE विश्वविद्यालय के Tom Truscott व Jim Ellis तथा नॉर्थ कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के Steev Velowin ने प्रथम यूज़नेट न्यूज़ ग्रुप बनाया| इस न्यूज़ ग्रुप में कोई भी भाग लेकर धर्म राजनीति विज्ञान तथा अन्य किसी भी विषय के संबंध में आपस में चर्चा कर सकते थे|
1981
अरपानेट के 213 होस्ट कंप्यूटर हो गए थे तथा औसतन लगभग 20 दिनों बाद एक HOST कंप्यूटर जुड़ने लगा
1982 से 1987
इसी अवधि में इंटरनेट शब्द का प्रयोग अरपानेट के स्थान पर हुआ तथा Vinton Cerf तथा Bob Kahn ने इंटरनेट से जुड़े समस्त कंप्यूटरों के लिए एक समान प्रोटोकॉल का विकास किया जिससे कंप्यूटर सरलता से सूचना का आदान प्रदान कर सके| लगभग इसी समय पर्सनल कंप्यूटर व अन्य सस्ते कंप्यूटर का विकास हुआ| जिसके फलस्वरुप इंटरनेट का अधिक तेजी से विकास हुआ|
1982
समस्त इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए एक समान प्रोटोकॉल टीसीपी आईपी (ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल/इंटरनेट प्रोटोकॉल) का विकास हुआ| इंटरनेट नाम पहली बार प्रयुक्त किया गया|
1983
ARPANET दो भागों में मिली नेट तथा ARPANET में विभक्त किया गया|
1984
- डोमेन नेम सर्वर प्रणाली का विकास किया गया|
- JUNET (जापान यूनिक्स नेटवर्क) UUCP का उपयोग करते हुए बनाया गया|
- इंटरनेट के होस्ट कंप्यूटरों की संख्या 1000 से ऊपर हो गई |
- पहली बार साइबरस्पेस का नाम इंटरनेट को दिया गया|
1986
NSFNET व FREENET का विकास हुआ |
1987
इंटरनेट होस्ट कंप्यूटर की संख्या 10000 से अधिक हो गई UUNET निर्मित किया गया| जिससे कि यू यू सी पी और यूज़नेट का वाणिज्यिक उपयोग आरंभ हुआ |
1988 से 1990
इस अवधि में एक संचार माध्यम के रूप में इंटरनेट को माना जाने लगा| साथ ही सूचना के सुरक्षित आदान प्रदान व कंप्यूटर सुरक्षा पर भी उपयोगकर्ताओं ने ध्यान देना आरंभ किया| क्योंकि इसी अवधि में एक कंप्यूटर प्रोग्राम “Internet Worm” ने इंटरनेट से जुड़े लगभग 6000 कंप्यूटरों को अस्थाई रूप से अनुपयोगी बना दिया था|
1988
इंटरनेट व कंप्यूटर प्रोग्राम में इंटरनेट से जुड़े 6000 कंप्यूटरों को अस्थाई रुप से निष्क्रिय बना दिया| कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम कंप्यूटर नेटवर्क सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए बनाई गई|
1989
इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों की संख्या एक लाख से ऊपर हो गई| BITNET तथा CSNET को मिलाकर कॉरपोरेशन फॉर रिसर्च एंड एजुकेशन नेटवर्किंग बनाया गया|
1990
अरपानेट को समाप्त कर दिया गया तथा नेटवर्क ऑफ नेटवर्क्स के रूप में इंटरनेट शेष रहा| जिसके की होस्ट कंप्यूटर की संख्या 300000 हो गई| पीटर डयुश, एलन एक्टेज व बिल हौलन ने ARCHIE को जारी किया| जिससे कि इंटरनेट के कंप्यूटरों पर उपलब्ध सामग्री को आसानी से प्राप्त किया जाने लगा |
1991 से 1993
यही वह अवधि थी जिसमें कि इंटरनेट में सर्वाधिक ऊंचाइयों को छुआ| इंटरनेट का वाणिज्यिक उपयोग काफी बढ़ गया |
1991
- GOPHER को पॉल लिनडर व मार्क मैकहिल ने विकसित कर जारी किया|
- वाइड एरिया इंफॉर्मेशन सरवर का विकास हुआ|
- इंटरनेट पर प्रतिमा डाटा आदान प्रदान करने की मात्रा के लिए ट्रिलियन बाइट से भी अधिक हो गई|
1992
- इंटरनेट पर ऑडियो वीडियो को भेजा जाना संभव हुआ|
- इंटरनेट सोसाइटी की स्थापना हुई|
- वर्ल्ड वाइड वेब को टिम बर्नर्स ली ने विकसित किया|
- एक लाख से अधिक होस्ट कंप्यूटर इंटरनेट से जुड़ गए|
1993
- MOSAIC नामक पहला ग्राफिक आधारित वेब ब्राउज़र विकसित किया गया|
- INTERNIC का गठन इंटरनेट संबंधित सर्विस को एकरूपता प्रदान करने व उनका प्रबंधन करने के उद्देश्य से किया गया|
1994 से 1998
- लगभग 40 मिलियन उपयोगकर्ता इंटरनेट से जुड़ गए तथा इंटरनेट युग का सूत्रपात इसी अवधि में हुआ|
- इंटरनेट शॉपिंग का आरंभ हुआ|
- विज्ञापनदाताओं ने इंटरनेट पर विज्ञापन देने आरंभ किए|
1995
- NSFNET पुनः रिसर्च कार्यों तक सीमित हो गया|
- सन माइक्रोसिस्टम में इंटरनेट प्रोग्रामिंग भाषा जावा का विकास किया|
1996
- इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों की संख्या 10 मिलियन से अधिक हो गई|
- 150 से अधिक देशों को कंप्यूटर इंटरनेट से जुड़ गए|
1997
इंटरनेट में आम आदमियों के बीच अपनी पहचान बना ली तथा इसके बिना जिंदगी अधूरी सी प्रतीत होने लगी|
1998
- भारत में प्रत्येक स्थान पर इंटरनेट को पहुंचाने का प्रयास आरंभ हुआ|
- नेशनल इन्फार्मेटिक्स पॉलिसी बनाई गई|
1999 से अब तक
अब इसमें अनेक संशोधन करके इसको और सरल बनाया गया| परिणाम यह निकला कि इस नेटवर्क के लिए एक मानक सुनिश्चित करके असैन्य कंपनियों के प्रयोग के लिए खोल दिया गया तथा अब इसमें सभी प्रकार की सूचनाओं को भी जोड़ा गया| इस प्रकार एक विस्तृत नेटवर्क का जन्म हुआ जिसे हम आज इंटरनेट के नाम से जानते हैं|