प्रिंटिंग क्या हैं? प्रिंटिंग के प्रकार

प्रिंटिंग क्या हैं? प्रिंटिंग के प्रकार (What is Printing and its types)

प्रिंटिंग क्या हैं? (What is Printing?)

डेस्कटॉप प्रकाशन में, टेक्स्ट को वर्ड प्रोसेसर पर तैयार किया जाता है, और ड्राइंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करके इमेज तैयार किए जाते हैं। फोटोग्राफ या अन्य कला को भी एक स्कैनर का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक रूप से कैप्चर किया जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक फ़ाइलों को अगले पेज-लेआउट एप्लिकेशन चलाने वाले कंप्यूटर पर भेजा जाता है। पेज लेआउट सॉफ्टवेयर डेस्कटॉप प्रकाशन के बहुत महत्वपूर्ण है। यह सॉफ़्टवेयर डेस्कटॉप प्रकाशक को एक पेज पर टेक्स्ट और चित्रण में हेरफेर करने की अनुमति देता है।

वांछित प्रिंटिंग गुणवत्ता के आधार पर, इलेक्ट्रॉनिक पेजों को या तो डेस्कटॉप प्रिंटर पर प्रिंट किया जा सकता है, या प्रिंटिंग ब्यूरो में भेजा जा सकता है जहां इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट एक उच्च अंत कंप्यूटर पर लोड होता है। यदि डॉक्यूमेंट एक प्रिंटिंग ब्यूरो को भेजा जाता है, तो स्कैन की गई इमेजयों को प्रिंटिंग से पहले उच्च-रिज़ॉल्यूशन इलेक्ट्रॉनिक इमेजयों से बदला जा सकता है। यदि डॉक्यूमेंट को कलर में प्रिंट करना है, तो प्रिंटिंग ब्यूरो चार कलर का उपयोग करेगा सियान, मैजेंटा, पीला और काला|

अधिकांश डेस्कटॉप प्रिंटर कागज पर डॉट्स खींचकर चित्र बनाते हैं। मानक प्रिंटर रिज़ॉल्यूशन 300 डॉट प्रति इंच होता है, जिसमे उच्च रिज़ॉल्यूशन उपलब्ध होता हैं। यह कंप्यूटर टर्मिनल के 72 डॉट प्रति इंच के रिज़ॉल्यूशन से बहुत अधिक है।

प्रिंटिंग के प्रकार (Types of Printing)

कई प्रकार की टेक्नोलॉजी हैं जिनका उपयोग सामान को प्रिंट करने के लिए किया जाता है। डेस्कटॉप पुब्लिशिने में निम्न औद्योगिक प्रिंटिंग प्रक्रियाएं प्रयोग होती हैं:

  • Offset or Offset lithography Printing (ऑफसेट या ऑफसेट लिथोग्राफी)

यह प्रिन्टिंग के क्षेत्र में सबसे कॉमन प्रिन्टिंग मैथड हैं। अधिकतर प्रिन्‍टर्स ऑफसेट या ऑफसेट लिथोग्राफी का इस्‍तेमाल करते हैं। इनमे इंक की खपत कम होती हैं, साथ ही साथ मशीन को सेट करने में भी कम टाइम लगता हैं। यह प्रिंटिंग के उन्नत तरीकों में से एक है। यह बड़े और महंगे प्रिंटिंग प्रेस का उपयोग करता है और उपलब्ध प्रिंटिंग की उच्चतम गुणवत्ता का उत्पादन करता है। ऑफसेट प्रिंटिंग में, डिज़ाइन को आमतौर पर कंप्यूटर फ़ाइल के रूप में डिजिटल रूप में प्रदान किया जाता है। इस फाइल को प्रिंटिंग के लिए तैयार करने के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग करके कंप्यूटर पर प्रोसेस किया जाता है (इसे प्री-प्रेस कहा जाता है)।

अगले चरण में ’प्लेट्स’ बनाना शामिल है जिसका उपयोग ऑफसेट प्रिंटर में किया जाएगा। प्लेटों की संख्या प्रिंट रन में उपयोग किए जाने वाले रंगों की संख्या के बराबर होती है। आमतौर पर, उपयोग किए जाने वाले रंगों की सबसे कम संख्या 4 है, अन्य विकल्पों में 6 और 8 रंग प्रक्रियाएं हैं। स्रोत के रूप में रेडी-टू-प्रिंट फ़ाइल का उपयोग करके, प्लेटें बनाई जाती हैं और फिर ऑफसेट प्रिंटर में लोड की जाती हैं। इनमें से प्रत्येक प्लेट का उपयोग मीडिया पर इसके संबंधित रंग को प्रिंट करने के लिए किया जाता है। एक बार सभी रंगों के प्रिंट हो जाने के बाद, हम अंतिम डिज़ाइन प्राप्त करते हैं जो चार रंगों में अपना परिणाम देती है। उपयोग किए गए रंगों की संख्या, 4, 6 या अधिक वांछित गुणवत्ता पर आधारित है। रंगों की संख्या जितनी अधिक होती है, प्रिंट की गुणवत्ता उतनी ही अधिक होती है लेकिन इससे प्रिंट रन की लागत भी बढ़ जाती है।

  • Engrave Printing (एनग्रेव प्रिंटिंग)

प्रिंटिंग में, एनग्रेव का मतलब प्रिंटिंग प्लेट में एक पैटर्न बनाना है। एनग्रेव पैटर्न इमेज को प्रिंट करने के लिए उपयोग की जाने वाली स्याही को बरकरार रखता है। इसका विकास 1446 में हुआ था इसलिए यह तकनीक कम से कम 560 वर्ष पुरानी है। इसमें एक धातु की प्लेट पर इमेज को उकेरा जाता हैं इसके बाद प्लेट पर स्याही लगाईं जाती है, फिर स्याही को पोछा जाता हैं ताकि स्याही केवल एनग्रेव लाइनों में बनी रहे, फिर इमेज का एक प्रिंट बनाने के लिए इसे कागज पर दबाया जाता हैं|


एनग्रेविंग सबसे प्राचीनतम ग्रेविंग तकनीक में से एक हैं। यह एनग्रेविंग प्रिन्टिंग तकनीक अन्‍य तकनीक से तुलनात्‍मक रूप से सबसे शार्प इमेज प्रोड्यूस करती हैं। यह नक्‍काशी छपाई की एक मैथड हैं।

  • Screen Printing (स्‍क्रीन प्रिन्टिंग)

स्क्रीन प्रिंटिंग छोटे एवं मध्‍यम डाटा को प्रिंट करने के लिए प्रयोग होती हैं। इसके लिए बहुत कम संसाधनों की आवश्‍यकता होती हैं। इस प्रकार की प्रिन्टिंग का प्रयोग ना सिर्फ कागज अपितु दूसरे माध्‍यम पर भी आसानी से कर सकते हैं। स्क्रिन प्रिंटिंग का उपयोग visiting card, शादी की पत्रिका आदि प्रिंट करने के लिए किया जाता हैं। इस प्रकार की प्रिंटिंग की गति कम होती हैं। स्क्रीन प्रिंटिंग में विभिन्‍न रासयनिक पदार्थो का उपयोग किया जाता हैं। इस पद्धति में प्रिंटिंग गहरे (dark) कलर में आती हैं, लेकिन इसकी प्रति पेज प्रिं‍टिंग लागत अधिक होती हैं। यह प्रिंटिंग तकनीक संपूर्णत: मशीन रहित हैं। इस प्रकार की प्रिंटिंग कागज के अतिरिक्‍त दूसरे मीडिया जैसे कपड़ा, लेदर इत्‍यादि पर भी की जा सकती हैं।

  • Flexography Printing (फ्लेक्‍सोग्राफी प्रिन्टिंग)

फ्लेक्‍सोग्राफी को अक्‍सर फ्लेक्‍सों कहा जाता हैं। फ्लेक्सोग्राफी में जिस सामग्री को प्रिंट करने की आवश्यकता होती है, वह प्रिंटिंग प्लेट की एक रिलीफ पर होती है, जिसे रबर से बनाया जाता है। इस प्लेट पर स्याही लगाई जाती है और उस स्याही वाली इमेज को बाद में प्रिंटिंग सतह पर स्थानांतरित कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया को कागज के साथ-साथ प्लास्टिक, धातु, सिलोफ़न और अन्य सामग्रियों पर भी प्रिंट किया जा सकता है। फ्लेक्सो का उपयोग मुख्य रूप से पैकेजिंग और लेबल के लिए और कुछ हद तक समाचार पत्रों के लिए भी किया जाता है।

  • Gravure printing (ग्रेवुरे प्रिंटिंग)

ग्रेवुरे प्रिंटिंग को रोटोग्रावुर के रूप में भी जाना जाता है, यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें एक इमेज को एक प्रिंटिंग सिलेंडर में उकेरा जाता है। उस सिलेंडर पर स्याही लगी होती है और यह स्याही बाद में कागज में स्थानांतरित हो जाती है। Gravure का उपयोग उच्च मात्रा में काम करने के लिए किया जाता है जैसे कि समाचार पत्र, पत्रिकाएं और पैकेजिंग।

  • Inkjet printing (इंकजेट प्रिंटिंग)

इंकजेट प्रिंटिंग लेजर प्रिंटिंग के समान है। इसमें 4, 6 या अधिक रंगों का उपयोग होता है। हालांकि, ये रंग तरल होते हैं इंकजेट प्रिंटर में, प्रिंटर सॉफ़्टवेयर निर्धारित करता है कि अंतिम प्रिंट प्राप्त करने के लिए किस स्थान पर किस रंग को लागू किया जाना है। रंग को मीडिया पर छोटी बूंदों में छिड़का जाता है और इन सभी रंगों के संयोजन से अंतिम इमेज बनती है।

  • Laser Printing (लेजर प्रिंटिंग)

लेजर प्रिंटर का प्रयोग कंप्यूटर सिस्टम में 1970 के दशक से हो रहा हैं पहले ये Mainframe Computer में प्रयोग किये जाते थे 1980 के दशक में लेजर प्रिंटर का मूल्य लगभग 3000 डॉलर था ये प्रिंटर आजकल अधिक लोकप्रिय हैं क्योकि ये अपेक्षाकृत अधिक तेज और उच्च क्वालिटी में टेक्स्ट और ग्राफिक्स प्रिंट करते हैं अधिकांश लेजर प्रिंटर (Laser Printer) में एक अतिरिक्त माइक्रो प्रोसेसर (Micro Processor) रेम (Ram) व रोम (Rom) का प्रयोग (use) किया जाता है यह प्रिंटर भी डॉट्स (dots) के द्वारा ही कागज पर प्रिंट (print) करता है परन्तु ये डॉट्स (dots) बहुत ही छोटे व पास-पास होने के कारण बहुत सपष्ट प्रिंट (print) होते है इस प्रिंटर में कार्टरेज का प्रयोग किया जाता है जिसके अंदर सुखी स्याही (Ink Powder) को भर दिया जाता हैं लेजर प्रिंटर के कार्य करने की विधि मूलरूप से फोटोकॉपी मशीन की तरह होती है लेकिन फोटोकॉपी मशीन में तेज रोशनी का प्रयोग किया जाता है लेजर प्रिंटर (Laser Printer) 300 से लेकर 600 DPI (Dot Per Inch) तक या उससे भी अधिक रेजोलुशन की छपाई करता है रंगीन लेजर प्रिंटर उच्च क्वालिटी का रंगीन आउटपुट देता हैं इसमें विशेष टोनर होता है जिसमे विभिन्न रंगों के कण उपलब्ध रहते हैं यह प्रिंटर बहुत महंगे होते है क्योकि इनके छापने की गति उच्च होती हैं तथा यह प्लास्टिक की सीट या अन्य सीट पर आउटपुट (output) को प्रिंट (print) कर सकते है|


लेजर प्रिंटर कम्‍प्‍यूटर से जुड़ा होता हैं। इस प्रिंटर में कागज के साथ ही, film transparent paper, butter paper एवं PVC place आदि पर भी प्रिंट निकाला जा सकता हैं। इसकी तकनीक कॉपियर (झेराक्‍स) तकनीक के समान होती हैं। इसमें किसी प्रकार के रिबन का प्रयोग नही किया जाता इसमें लेजर किरण एवं प्रकाश के स्‍त्रोतों से इमेज को उत्‍पन्‍न किया जाता हैं। लेजर के किरणों को कम्‍प्‍यूटर द्वारा नियंत्रित किया जाता हैं। इमेज Raster Scan तकनीक से प्रिंट की जाती हैं। लेजर प्रिंटर में, किसी इमेज को प्रिंट करने की प्रक्रिया सात पदों में पूर्ण होती हैं।


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