इस पोस्ट में हम इन्टरनेट से सम्बंधित Terms के बारे में जानेगे |
पासवर्ड क्रेकिंग (Password Cracking)
कम्प्यूटर तथा नेटवर्क का पासवर्ड, कोडेड फार्म (Encrypted Cracking) मे स्टोर किया जाता हैं। क्रैकर साफ्टवेयर प्रोग्राम की मदद से कोडेड पासवर्ड का पता लगा लेते हैं। तथा इसका प्रयोग अवैध कार्यो(Illegal activities)तथा अनधिकृत उपयोग(Unauthorized use) के लिए करते हैं। Password Cracker एक ऐसा ही सॉफ्टवेयर प्रोग्राम हैं।
पैकेट स्निफिंग (Packet Sniffing)
इंटरनेट पर डाटा को पैकेट में बांटकर भेजा जाता हैं। डाटा पैकेट्स को अपने Destination तक पहुंचने से पहले ही उसकी पहचान करके उसे रिकॉर्ड कर लेना जैकेट स्निफिंग कहलाता हैं।
पैच (Patch)
सॉफ्टवेयर कंपनियों द्वारा उपयोग के लिए जारी सॉफ्टवेयर में कई खामियां होती हैं। जिनका फायदा हैकर /क्रैकर उठाते हैं। सॉफ्टवेयर कंपनियों द्वारा इन कमियों में सुधार के लिए समय – समय पर छोटे सॉफ्टवेयर प्रोग्राम जारी किए जाते हैं, जिन्हें पैच कहा जाता हैं। ये पैच सॉफ्टवेयर मुख्य सॉफ्टवेयर के साथ ही कार्य करते हैं।
स्केअर वेयर (Scare Ware)
यह कम्प्यूटर वायरस का एक प्रकार है जो इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटर को प्रभावित करता हैं। इसमें इंटरनेट से जुड़े उपयोगकर्ता को कोई फ्री एंटीवायरस या फ्री साफ्टवेयर डाउनलोड करने का लालच दिया जाता हैं। यह एक अधिकृत सॉफ्टवेयर की तरफ दिखता हैं, पंरतु इसे डाउनलोड करते ही वायरस कम्प्यूटर में प्रवेश कर जाता हैं।
फिशिंग (Phishing)
इंटरनेट पर इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के यूजर नेम, पासवर्ड तथा अन्य व्यक्तिगत सूचनाओं को प्राप्त करने का प्रयास करना फिशिंग (Phishing) कहलाता हैं। इसेके लिए उपयोगकर्ता को झूठे (Fake) ई – मेल या संदेश भेजे जाते हैं जो दिखने में वैध (Legitimate) वेबसाइट से आये हुए लगते हैं। इन ई – मेल या संदेश में उपायोगकर्ता को अपना यूजरनेम, लॉग इन आई डी (Login ID) या पासवर्ड तथा अन्य विवरण डालने को कहा जाता हैं। जिनके आधार पर उपयोगकर्ता के गुप्त विवरणों की जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं।
डिजिटल सिग्नेचर (Digital Signature )
यह कम्प्यूटर नेटवर्क पर किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने, उसकी स्वीकृति (Approval) प्राप्त करने तथा किसी तथ्य को सत्यापित (Verify) करने की एक पद्धति हैं। इसमें नेटवर्क सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाता हैं।
डिजिटल सिग्नेचर तकनीक का प्रयोग कम्प्यूटर पर स्टोर किए गए किसी डाक्युमेंट का प्रिंट लिए बिना उस पर हस्ताक्षर करने के लिए किया जाता हैं। डिजिटल सिग्नेचर किसी मैसेज या डाक्युमेंट के साथ जुड़ जाता हैं। तथा उसकी वैधता (Authenticity) प्रमाणित करता हैं। डिजिटल सिग्नेचर कम्प्यूटर पर कोडेड फार्म में स्टोर किया जाता हैं ताकि उसे अनधिकृत उपयोगकर्ताओं की पहुंच से दूर रखा जाए। ई – कामर्स तथा ई प्रशासन (E – governance) में इसका प्रयोग प्रचलित हो रहा हैं।
Spam (स्पैम)
कम्प्यूटर तथा इंटरनेट का प्रयोग कर अनेक व्यक्तियों को अवांछित तथा अवैध रूप से भेजा गया संदेश स्पैम कहलाता हैं। इसे नेटवर्क के दुरूपयोग के रूप में जाना जाता हैं। यह ई – मेल संदेश का अभेदकारी वितरण (Non-distributional distribution)हैं जो ई – मेल तंत्र में सदस्यता के (Overlapping) के कारण संभव हो पाता हैं।
Spam सामान्यत: कम्प्यूटर नेटवर्क तथा डाटा को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। वास्तव में Spam एक छोटा प्रोग्राम है जिसें हजारों की संख्या में इंटरनेट पर भेजा जाता हैं ताकि वे इंटरनेट user की साइट पर बार – बार प्रदर्शित हो सकें। Spam मुख्यत: विज्ञापन होते हैं जिसे सामान्यत: लोग देखना नहीं चाहते। अत: इसे बार – बार भेजकर उपयोगकर्ता का ध्यान आकृष्ट किया जाता हैं।
चूकिं Spam भेजने का खर्च उपयोगकर्ता (Client) या सर्विस प्रोवाइडर पर पड़ता हैं अत: इसे विज्ञापन के एक सस्ते माध्यम के रूप में प्रयोग किया जाता हैं। इंटरनेट की विशालता के कारण स्पैम भेजने वाले (Spammer) को पकड़ पाना कठिन होता है। Spam Filter या Anti Spam Software का प्रयोग कर इससे बचा जा सकता हैं।