इस पोस्ट में हम फिजिबिलिटी स्टडी और उसके प्रकारों के बारे में जानेगे|
Feasibility Study
Feasibility स्टडी के अंतर्गत मौजूदा सिस्टम (Existing System) में थोडा सुधार करना है या पूरी तरह से नए सिस्टम का विकास करना है, इस बात पर विचार किया जाता है| Feasibility स्टडी समस्या के ओवरव्यू को समझने में मदद करती है| Feasibility स्टडी यह सुनिश्चित करने के लिए की जाती है,की प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना है ,या पोस्टपोन करना है या केंसिल करना है |
किसी भी सिस्टम की सफलता के लिए सिस्टम की क्षमता का परीक्षण करना Feasibility Study कहलाती है। Feasibility study का मुख्य उद्देश्य यह निर्धारित करना है कि सिस्टम को विकसित करना financially तथा technically रूप से संभव है या नही।
Feasibility study का उद्देश्य problem को solve करना नही होता है बल्कि यह निर्धारित करना है कि प्रॉब्लम को solve किया जा सकता है या नही।इसमें सिस्टम में आने वाली सभी समस्याओ को एनालिसिस किया जाता है, और सिस्टम की जानकारी को गहराई से जाँचा जाता है एवं यह निर्धारित किया जाता है कि सिस्टम को विकसित करने में किस प्रकार से सफलता पायी जा सकती है।
Types of Feasibility study
Feasibility study तीन प्रकार की होती है|
- Economical Feasibility
- Technical Feasibility
- Operational Feasibility
1.Economical Feasibility: – इस फिजिबिलिटी में यह निर्धारित किया जाता है कि जो प्रस्तावित सिस्टम है उसमें कितना खर्चा आएगा तथा उसमें कितना लाभ मिलेगा? Economic Feasibility को cost benefit analysis भी कहते है।
2.Technical Feasibility:-इस फिजिबिलिटी में सिस्टम की टेक्निकल जरूरतों को निर्धारित किया जाता है। इसमें यह देखा जाता है कि जो प्रस्तावित सिस्टम है उसके लिए जो टेक्नोलॉजी चाहिए वह उपलब्ध हो तथा उस टेक्नोलॉजी को सिस्टम में किस प्रकार integrate किया जायें। नयी टेक्नोलॉजी में आने वाली सभी प्रकार की जटिलताओं को संभालने के लिए तकनीकी रूप से सक्षम एक्सपर्ट की जरुरत भी होती है।
3.Operational Feasibility:-इस फिजिबिलिटी में यह निर्धारित किया जाता है कि एक प्रस्तावित सिस्टम किस प्रकार समस्याओ का समाधान करेगा तथा सिस्टम में किस प्रकार के बदलाव आये है? इसमें यह देखा जाता है कि जो सिस्टम है क्या वह यूज़र्स के लिए लाभकारी है या नही तथा क्या वह जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है या नही।